संसार में सत्य तो उस शारीरिक
शल्य चिकित्सा की तरह होता है,
जिससे घाव तो बनता है पर सदाके
लिए मर्ज़ का उपचार कर देता है।
असत्य कष्टनिवारक औषधि सा
होता है जो क्षणिक आराम देता है,
पर हमेशा के लिए कोई न कोई
दूसरा मर्ज़ शरीर को दे जाता है।
सत्य की सक्षमता ताक़त होती है,
जो इच्छाओं पर नियंत्रण करती है,
इच्छा इच्छा शक्ति सुदृढ़ करती है,
इच्छाशक्ति कर्तव्य प्रधान होती है।
कर्तव्य प्रधानता मानव जीवन में
आदित्य हम सबकी नियति होती है,
आओ कर्म करते रहें, फल की इच्छा
ईश्वर पर ही छोड़ना उचित होती है।
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