Category: कविता

चार सवैया

———1———मौन वृक्ष में शांति के फ़ुल आते हैं,जिसके फल संतुष्टि देकर जाते हैं।संतुष्टि देकर जाते हैं मानव जीवन में,मौन करता है का जीवन का उद्धार।मौन का वृत्त यदि टूट जाता…

मानवता श्रेष्ठ धर्म है

जीवन में छोटी छोटी बातें बड़ीसे बड़ी ख़ुशियाँ दे जाती हैं,छोटे से दीपक की रोशनी पूरेकमरे में उजाला फैलाती है । बहते आँसू भी किसी को गलेलगाने से हर दर्द…

नेति नेति : चरैवेति चरैवेति

वेद, पुराण, उपनिषद सारे,ब्रह्माण्ड का ज्ञान बखान रहे,किंचित नेति नेति के प्रतिफल,चरैवेति चरैवेति स्वीकार रहे। धर्म से अर्थ का अर्जन कर,काम कामना जीवन की,धर्म, अर्थ व काम के पथ से,मोक्ष…

मेरी कविता : राजनीति ही सबकी चाहत है

रेस्टौरेंट होटल हैं खुल गये,जगह जगह हैं माल बन रहे,अस्पतालों की लाइन लगी है,कुकुरमुत्ते की भाँति बढ़ रहे । नहीं कहीं पार्किंग की व्यवस्था,नहीं कहीं अग्निशमन की सुरक्षा,कोई नहीं नियम…

मेरी कविता: जीवन के खट्टे मीठे अनुभव

हम अच्छे हों तो सब अच्छे हैं,कितनी भ्रामक यह कहावत है,अच्छे सच्चे को मूर्ख समझना है,उसका भयदोहन शोषण करना है। बुद्धिमान को भूत कमाते हैं,ज़्यादा सीधे सच्चे न बनते हैं,अगला…

मेरी कविता: मान करोगे मान मिलेगा

बड़े बुजुर्ग कहते थे जो जिसके पासहोता है, वही दूसरों को दे पाता है,जो दूसरों को आदर देता है वह स्वयंभी तो आदरणीय हो जाता है। सम्मान और अभिमान दो…

हरि हर निंदा सुनहि के काना

मेरी कविता: कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य‘ रावण की भगिनी सूर्पनखा कीनासिका लक्ष्मण ने क्यों काटी थी ?बदले में ही लंकापति रावण ने सीताछल से पंचवटी से चुरा ली थी…

मेरी कविता : हिम्मते मर्दा, मददे ख़ुदा

जब हम अपना कर्तव्य निभाते हैं,तब थोड़ा सा कष्ट अवश्य होता है,पर जो कभी पराजय नहीं मानते हैं,वो हर तकलीफ़ सहन कर लेते हैं। वो अपने प्रयत्न से ही जीतते…

सरल सहज जीवन

उद्गार दबाये रखता हूँ,तलवार म्यान में रखता हूँ,मानवता का साधक हूँ,सत्य डगर पर चलता हूँ । जीवन जितना जटिल होताउसका महत्व उतना बढ़ता है,आसान राह की कद्र नहीं,जीवन सस्ता सा…

बिना वजह हँसना : ज़िंदादिली

खुल कर हँसने की वजह कोईबहुत ख़ास भले ही नही होती,मुस्कुराकर देखो, यह सारी धरतीहंसती ख़ुश मिज़ाज नज़र आती। बिना वजह खिल खिलाने सेकेवल अपनी ही नहीं, बल्किहर किसी की…

मेरी कविता : शांत स्वभाव की स्थिरता

जल जैसे शांत व स्थिर होता हैवैसे ही सहृदय शान्त हम हो पायें,जल की ही भाँति इंसान जिससेमिले उसी के रंग में रंग जाये। शांत स्वभाव व धैर्य शीलता मेंकभी…

मदद करना सामाजिक दायित्व

कविता कभी कभी मैं भिक्षुक बन जाता हूँ,अपने लिये नहीं पर मैं कुछ माँगता हूँ,सबके लिये सबकी मदद के लिये,कुछ न कुछ कभी कभी माँग लेता हूँ। कभी कुछ सामूहिक…

सुखान्त मृत्यु ही मोक्ष हैं

जीवन में जन्म लेने के उद्देश्य,योनियों से मोक्ष प्राप्ति होते हैं,धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारोंपुरुषार्थ जिसके माध्यम होते हैं। जिदगी जीने के लिये हम सबकोकर्म तो करना पड़ता है,…

पतवार संभाल के चलाना पड़ता है

कविता धूप छाँव से डरने वाले कृषक कीफसल बो कर तैयार कहाँ होती है,डर डर तैराकी की कोशिश करनेवाले की नदिया पार कहाँ होती है। हवाई जहाज़ उड़ाना सीखने वालेपाइलट…