आज इंसान लक्ष्य से भटक रहा है,
यही भटकाव सबको थका रहा है,
इस भटकाव की कथा लिख रहा हूँ,
मालिक व श्वान का हाल बता रहा हूँ।
मालिक किसान और उसका श्वान
एक ही रास्ते से खेतों पर जाते हैं,
उसी रास्ते से रोज़ाना वे घर आते हैं,
किसान नहीं पर कुत्ता थक जाता है।
घर से खेतों की दूरी ज़्यादा नहीं है,
पर मालिक नहीं कुत्ता थक जाता है,
मालिक सीधे रास्ते से घर आता है,
पर कुत्ता चक्कर लगा कर आता है।
श्वान अपनी आदत से मजबूर होता है,
वह दूसरे श्वानों को देखकर उनको
भगाने के लिए उनके पीछे दौड़ता है,
और भौंकता हुआ वापस आ जाता है।
जैसे ही उसे और कोई श्वान नजर
आता, वह उसके पीछे दौड़ने लगता है,
अपनी आदत के अनुसार उसका यह
क्रम सारे रास्ते यूँ ही जारी रहता है।
इसलिए वह रोज़ाना थक जाता है,
और मालिक बिलकुल नहीं थकता है
वर्तमान में देखा जाए तो यही स्थिति
आज हम सब इंसानों की हो गई है।
जीवन के लक्ष्य तक पहुंचना तो यूँ,
कठिन नहीं है, लेकिन राह में मिलने
वाले लोग इंसान को उसके जीवन
की सीधी-सरल राह से भटका रहे हैं।
यह लक्ष्य प्राप्ति में एक बड़ी बाधा है,
सारी ऊर्जा राह में ही बर्बाद करते हैं,
इसलिए इनको नज़रंदाज़ करते हैं,
लक्ष्य प्राप्ति के लिये सीधे बढ़ते हैं।
एक ना एक दिन मंजिल मिल जाना है,
इनके चक्कर में पड़े तो थक जाना है,
आदित्य यह सोचना है कि किसान की
सीधी राह या श्वान की राह चलना है।
- कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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