September 18, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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शिवाजी पब्लिक स्कूल में धूमधाम से मना शिक्षक दिवस

बच्चों ने टीचर बन ली क्लास, छात्र-छात्राओं ने शिक्षकों को भेंट किए उपहार

मोतिहारी/बिहार(राष्ट्र की परम्परा)
ज़िला के पताही प्रखंड के शिवाजी पब्लिक स्कूल में शिक्षक दिवस बड़ी धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान स्कूली बच्चों ने प्रिसिपल गौतम राज डॉक्टर सोनी गुप्ता एंव शिक्षकों के साथ केक काटकर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन मनाया। उन्होंने शिक्षक का रोल भी अदा किया और बच्चों की क्लास ली। शिक्षकों ने भी बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें गिफ्ट देकर सम्मानित किया। शिवाजी पब्लिक स्कूल में शिक्षक दिवस के अवसर पर बच्चों ने खुद शिक्षक बन छात्रों की क्लास ली, शिक्षक दिवस को लेकर बच्चों में बहुत उत्साह रहा। इस दौरान शिक्षकों ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन पर प्रकाश डाला। बच्चों से उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। बच्चों ने भी शिक्षकों का सम्मान करते हुए उन्हें पेन आदि गिफ्ट किया। शिक्षकों ने भी बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए अध्यापक का रोल अदा करने वाले छात्रों को उपहार देकर सम्मानित किया। मौके पर डॉयरेक्टर सोनी गुप्ता ने एस गुप्ता ने कहा कि गुरु शिष्य का रिश्ता प्राचीनकाल से चलते रहा है और आज भी यह कायम है। उन्होंने शिक्षक दिवस की महत्ता एवं गुरु शिष्य के रिश्तों का व्याख्यान किया। एस गुप्ता ने छात्रों के भविष्य को उज्जवल बनाना व आगे चल के अपने लक्ष्य को प्राप्त करना ही संस्थान का उद्देश्य है। मौजूद छात्र छात्राओं ने गुरु शिष्य के परंपरा को निभाने और एक अच्छे शिक्षक की तरह छात्रों ने प्रण किया कि वो अपने आस पास रहने वाले अशिक्षित, भटके हुए छात्रों को सही राह दिखाने एवं एक अच्छे इंसान बनने की प्रेरणा देंगे। आज देशभर में शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। शिक्षकों को समर्पित यह दिन खासतौर पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में मनाया जाता है, जिनका जन्म 5 सितंबर साल 1888 में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन के 40 साल एक शिक्षक के रूप में देश को समर्पित किए थे। प्रधानाध्यापक गौतम राज ने कहा कि हमें हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं शिक्षक रहे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन से सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु संसार की एक ऐसी व्याख्या है जिसके बिना व्यक्ति कुछ हासिल नहीं कर सकता है। मनुष्य को ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है। बच्चों की सबसे पहले गुरु उनकी माता और पिता होते हैं।