प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना सहित ऑनलाइन आवेदन की सुविधा प्राप्त योजनाओं में आवेदन के उपरान्त किसान/आवेदनकर्ता को सत्यापन हेतु तहसील अथवा सम्बंधित विभागीय कार्यालयों में न बुलाया जाए, विभाग द्वारा स्वंय क्षेत्रीय कर्मचारियों के माध्यम से इसका सत्यापन सुनिश्चित कराया जाए-डीएम
उर्वरकों की विक्री के समय उर्वरक विक्रेता अनावश्यक रूप से कोई भी रासायनिक खाद, बीज, दवा आदि को लेने हेतु किसान को विवश न करे, कृषि विभाग द्वारा इस संबंध में किसानों से फीड बैक लिया जाता रहे, शिकायत मिलने पर सम्बंधित उर्वरक विक्रेता के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित की जाए-डीएम
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तंवर की अध्यक्षता में कृषि विभाग, पशुपालन, उद्यान, मत्स्य विभाग के कार्यो में प्रगति एवं विभागों द्वारा संचालित विकासपरक/लाभार्थीपरक योजनाओं में लक्ष्य के सापेक्ष प्रगति, गुणवत्ता एवं कार्य योजना से सम्बंधित समीक्षा बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुई। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी जयकेश त्रिपाठी उपस्थित रहे।
कृषि विभाग के कार्याे/योजनाओं की समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी द्वारा जनपद के सरकारी उर्वरक विक्री केन्द्रों, सहकारी समितियों एवं प्राईवेट उर्वरक विक्रेताओं द्वारा उर्वरकों की विक्री करने के मानकों की जानकारी प्राप्त करते हुए कृषि विभाग के अधिकारी को निर्देशित किया गया कि किसानों से इसका फीड बैक लिया जाए कि उनके द्वारा क्रय की जा रही खाद का मूल्य सरकारी एवं प्राइवेट दुकानों पर समान दर है या नही इसके लिए एक दिन का अभियान चला कर गॉव में किसानों से वार्ता की जाए। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा इसका भी नियमित तौर पर निरीक्षण किया जाता रहे कि उर्वरक विक्रेताओं द्वारा खाद की विक्री के समय किसानों को अलग से कोई पैकेट/रासायनिक दवा/बीज को खरीदने के लिए विवश न किया जाए। ऐसा पाये जाने पर सम्बंधित विक्रेता के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाए। जिलाधिकारी ने कहा कि जिन किसानों द्वारा 10 बोरी से अधिक उर्वरक की खरीदारी की जा रही है उसका भी सत्यापन कराया जाए कि सम्बंधित किसान को इसकी आवश्यकता है या उसके द्वारा कालाबाजारी की जा रही है।
जिलाधिकारी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि सहित अन्य लाभार्थीपरक योजनाओं में किसानों द्वारा ऑनलाइन आवेदन किये जाने के पश्चात उसके सत्यापन हेतु किसान/आवेदनकर्ता को तहसील या विभागीय कार्यालय में न दौड़या जाए। सम्बंधित विभाग आवेदन का सत्यापन स्वंय ग्रामीण स्तर पर कार्यरत कर्मचारियों के माध्यम से गॉव में जा कर अथवा तहसील या विकास खण्ड में उपलब्ध कागजात के आधार पर/लेखपाल के माध्यम स्वंय सम्बंधित किसान का सत्यापन करें। उन्होंने कहा कि योजनाओं में शासन द्वारा ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया का मूल उद्देश्य यही है कि आवेदनकर्ता/किसान को अनावश्यक परेशान अथवा भाग दौड़ न करना पड़े। जिलाधिकारी द्वारा समीक्षा के दौरान कृषि विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रम/योजनाओं जो कि मुख्यमंत्री डैशबोर्ड से संबंधित है, में उप कृषि निदेशक द्वारा अगवत कराया गया कि सभी में ए श्रेणी एवं 10 अंक प्राप्त है। पीएम किसान सम्मन निधि योजना अंतर्गत जिन किसानों के द्वारा ई-केवाईसी अभी तक नहीं कराई गई है वह अपनी ई-केवाईसी अनिवार्य रूप से कर लें जनपद में अभी भी 15005 किसान ई-केवाईसी हेतु शेष है। उप कृषि निदेशक द्वारा बताया गया कि जनपद में अनुदान पर गुणवत्तायुक्त गेहूं प्रजाति जो की प्रमोशनल श्रेणी की होती है, किसानों की मांग के आधार पर 3000 कुंतल अतिरिक्त मांग की गई है, जिसमें से 800 कुंतल जनपद को प्राप्त हो गया है जिसका वितरण कराया जा रहा है। जनपद में फास्फेटिक उर्वरक अंतर्गत डीएपी 5099, एनपी 1590, एसपी 6147 मेट्रिक टन उपलब्ध कराया जा चुका है। वर्तमान में 694 मेट्रिक टन डीएपी 1780, मेट्रिक टन एनपीके 3761, मेट्रिक टन एसपी अवशेष है। आईपीएल कंपनी की 800 मेट्रिक टन डीएपी 25 नवंबर तक प्राप्त होने की संभावना है। नवंबर माह के लक्ष्य के सापेक्ष फास्फेटिक उर्वरकों की आवक जारी है किसी भी प्रकार की उर्वरक की कमी जनपद में नहीं है। किसान अपनी मांग एवं भूमि की उपलब्धता के अनुसार उर्वरक का क्रय करते हुए उपयोग करें। जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिए गए की सहकारी एवं निजी दोनों क्षेत्र में उर्वरकों के साथ कोई अन्य उर्वरक अथवा उत्पाद किसी भी दशा में टैग न किया जाए यदि जांच में वह ऐसा करते हुए पाए जाते हैं तो उनके विरुद्ध उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के अंतर्गत विधि कार्रवाई की जाएगी। इसी क्रम में जिलाधिकारी द्वारा पशुपालन विभाग की समीक्षा के दौरान निर्देशित किया गया कि समस्त गो-आश्रय स्थलों से संबंधित चारागाह की जमीन को चिन्हांकित कर हरे चारे की बुवाई करायी जाए। इसके साथ ही समस्त संबंधित चरागाहों को संबंधित नोडल अधिकारी द्वारा समय-समय पर निगरानी करने हेतु भी निर्देशित किया गया। जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि तीनों तहसीलों में एक-एक वृहद गौशाला के निर्माण हेतु एक-एक हेक्टेयर जमीन का चिन्हिान सम्बंधित तहसीलदार से सम्पर्क कर उपलब्ध करायी जाए। मत्स्य विभाग की समीक्षा के दौरान जिलाधिकारी ने मत्स्य अधिकारी को निर्देशित किया कि जनपद में 65 हेक्टेयर के लक्ष्य के सापेक्ष मत्स्य पट्टा की कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाए। जिलाधिकारी ने कहा कि मत्स्य विभाग के पास जनपद के सभी तालाबों की अद्यतन सूची उपलब्ध रहनी चाहिए यदि तालाब की जमीन किसी कारणवश समतल हो गयी या उस पर अतिक्रमण किया गया है तो उसे खाली कराते हुए मनरेगा के माध्यम से तालाब की खुदाई करायी जाए। लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा के दौरान सहायक अभियंता लघु सिंचाई द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद में तीन योजनाएं उथले नलकूप, मध्य गहरे नलकूप तथा हौज पंपसेट स्थापना संचालित है। ऑनलाइन आवेदन के सापेक्ष बोरिंग का कार्य कराया जा रहा है। पंपसेट की मुख्यालय से आपूर्ति माह दिसंबर में संभावित है आपूर्ति होने के पश्चात जिन कृषकों के कृषक अंश जमा है उनको लाभान्वित कराया जाएगा। उद्यान विभाग से संबंधित कार्यक्रमों की समीक्षा के दौरान जिला उद्यान अधिकारी द्वारा बताया गया कि मनरेगा योजना अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र परिसर बगही संत कबीर नगर में निर्माणाधीन हाईटेक नर्सरी के निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है। विद्युत कनेक्शन अवशेष है। द्वितीय हाई टेक नर्सरी हेतु ग्राम बौधरा तहसील मेंहदावल में भूमि का चिन्हांकन हो चुका है। बखिरा डेवलपमेंट प्लान के अंतर्गत 01 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पार्क तथा 2000 वर्गमीटर में पॅाली हाउस इत्यादि शासन द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है। जिसके लिए भूमि की व्यवस्था हेतु जिलाधिकारी द्वारा उप जिलाधिकारी मेहदावल को निर्देशित किया गया। इस अवसर पर उप कृषि निदेशक डॉ० राकेश कुमार सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एस०के० तिवारी, भूमि संरक्षण अधिकारी सी०पी० सिंह, जिला उद्यान अधिकारी समुद्रगुप्त मल्ल, सहायक अभियन्ता लघु सिचाई अश्वनी शुक्ल, सूचना अधिकारी सुरेश कुमार सरोज सहित सम्बंधित अधिकारी आदि उपस्थित रहे।
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