Tuesday, September 16, 2025
Homeउत्तर प्रदेशतन मन निर्मल रख पाऊँ

तन मन निर्मल रख पाऊँ

हे मातु दया कर दे, वर दे, तन
स्वस्थ सुखी रखिए रखिये।
रोटी, कपड़ा, रहने को घर, वैभव
सुख से भूषित रखिए रखिये।

जीवन साथी का प्रेम मिला,
संतानों से आदर- सद्भाव मिला।
एहसान नहीं कोई ऋण का,
अपनी कृषि,अपना व्यापार भला।

अनुराग पूर्ण जीवन मेरा,
दुश्मन को भी स्वजन बना पाऊँ।
भाई-बहन, सखा, पड़ोसी
सबजन का हित मैं कर पाऊँ।

पारबृम्ह के परम ज्ञान से,
ओत-प्रोत हो, प्रवीन मैं बन जाऊँ।
सतसंगी, संतोषी बनकर, इस
समाज को गौरव दिलवा पाऊँ।

हे देवी तुम अंतरयामी हो,
माता सबको सुख शांति दीजै।
दुःखों से दूर रहे काया,
सत सेवा धर्म, क्षमा करने दीजै।

दान, दया व क्षमा की प्रवृत्ति,
इस जीवन में मैं अपनाउँ ।
‘आदित्य’ दया कर दे, वर दे,
यह तन मन निर्मल रख पाऊँ।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments