हमै का हानि
बचपन से विकासशील विचारधाराका पोषक होने की वजह यह रही है,मैंने गांव व ग़रीबी सिर्फ़ करीब सेदेखा ही नहीं बल्कि इसे जिया भी है। मैंने गरीबी और भुखमरी देखी है,गरीबों…
बचपन से विकासशील विचारधाराका पोषक होने की वजह यह रही है,मैंने गांव व ग़रीबी सिर्फ़ करीब सेदेखा ही नहीं बल्कि इसे जिया भी है। मैंने गरीबी और भुखमरी देखी है,गरीबों…
बात त्रेता युग की है जब भगवानश्रीराम चौदह वर्षों के वनवास केदौरान चित्रकूट में थे, श्रीराम, मातासीता कुटिया के बाहर बैठे हुए थे। लक्ष्मण उनके पास चरणों में बैठे थे,श्रीराम…
आज एक मित्र ने कहा आदित्य क्योंन आज सभी बेशक़ीमती दोस्तों कीदोस्ती को इस छोटी सी बात पर भीआप अपनी एक कविता समर्पित करें! मित्रता का घमंड एक बेटे को…
जी हाँ, चाय का समय हो गया है,संगीत साधना,गीत लिख गया है,आराध्य सरगम है, तार सुगम हैं,टंकार मधुर है और स्वर संगम हैं। तापमान निरा नीचे गिर रहा है,हाड़ कँपाती…
स्वस्थ विचारों का आदान प्रदान,ज्ञान और बुद्धि से आगे बढ़ता है,तर्कहीन वार्तालाप अज्ञानता एवंअहंकार जैसे दुर्गुण पैदा करता है। किसी की सरलता व सीधापन कोलोग उसकी कमजोरी मान लेते हैं,पर…
आज मुझे नव स्फूर्ति मिल रही है,नव जन्म वर्ष में प्रवेश कर रहा हूँ,उम्र का एक वर्ष गिनती में बढ़ा आज,एक वर्ष जीवन मेरा कम हुआ आज। जीवन पथ पर…
कहते हैं कि दुवाओं मेंबहुत ताक़त होती है,दवा काम नहीं करतीतो दुआ काम आती है। अक्सर दवा का काम,दुआ ही करती है,दुवायें हों अगर साथ तोदिल खुश कर जाती हैं।…
परमात्मा ने मत्स्य बनाने की सोची,तब उसने सागर से बात किया,जब उसने वृक्ष उगाने की सोची,तब उसने पृथ्वी से राय लिया। जब प्रभु ने इंसान बनाने की सोची,तब प्रभु ने…
खत्म हुआ वनवास आजअब राम हमारे आएंगेराजतिलक अब फिर से होगाहम सब खुशी मनाएंगे..।। सूनी पड़ी अयोध्या फिर सेआज पुनः खुशियों से झूमीफिर से आज दिवाली होगीहम सब दीप जलाएंगे..।।…
उत्तुंग हिमालय शीश बन खड़ा,सागर वंदन करे चरण रज धोकर,पर्वतराज ऊँचा उठने को कहता है,सागर दिखलाता गहरे लहराकर। सोच समझ अति ऊँची गहरी,भाव समर्पण का पावन आदर,शिखर शिखर पर सूर्य…
डाक हिमालय की बर्फीलीलेकर चलीं हवाएं,सुबह-शाम मैदानों कीसांकल चढ़कर खाकाएं। क्रूर-निर्दयी से मर्माहतबार-बार पिस-पिस केअंधियारे की बांहों मेंचांदनी कसमसा सिसकेकुहरे की चादर ओढ़ेअंसुआई आंखों भोरेंअनुभूति को कंपकंपी कीदावत बांटती दिशाएं।…
मित्रता कभी मिलने को तरसे,कभी साथ रहने को भी तरसे,इससे अच्छी मित्रता क्या होगी,बिना कभी मिले ही मित्रता रहे। रिश्तों में चाहना, मिलना, देखना,अच्छा लगना बहुत सरल होता है,पर रिश्तों…
रावण पराक्रमी, बुद्धिमान ज्ञानी था,पर मारा गया श्रीराम के हाथों था,“विनाश काले विपरीत बुद्धि” कानारी से कई बार अभिशाप मिला था। वेदवती महा तपस्विनी से दुर्व्यवहारकिया था उनके पूर्व जन्म…
रावण पराक्रमी, बुद्धिमान ज्ञानी था,पर मारा गया श्रीराम के हाथों था,“विनाश काले विपरीत बुद्धि” कानारी से कई बार अभिशाप मिला था। वेदवती महा तपस्विनी से दुर्व्यवहारकिया था उनके पूर्व जन्म…
जैसे जैसे कच्चा फल पकता जाता हैनर्म होकर उसका रंग बदलने लगता है,उस फल का स्वाद मीठा हो जाता है,वही फल सबके खाने योग्य होता है। हम इंसानों की परिपक्वता…