कविता

श्रीराम चंद्र के रामेश्वर हो

हे शिवशंकर भोलेनाथ तुमअजर अमर अविनाशी हो,महाकाल उज्जैन विराजत,बाबा विश्वनाथ काशी में हो। हम भक्तों के संकटहर्ता हो,तुम हम सबके…

2 years ago

औषधि समान मदद करना

केवल गोली, टेबलेट, कैप्सूल याइंजेक्शन ही औषधि नहीं होते हैं,रात में जल्दी सोना, ब्रह्ममुहूर्त मेंजल्दी उठना औषधि से होते हैं।…

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सीमा का प्रहरी, वह सबका रक्षक

सबसे बेहतर रंग की तलाश में,काले, सफ़ेद कोट हमने पहना,जय होवे अधिवक्ता साहब की,जय होवे चिकित्सक साहब की। उसके जजबात…

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उम्र भर की बात

सदा रखते हैं जो पवित्र विचार,अच्छी सोच उनकी हो लगातार,बुरे भाव दूर रखने का समाधान,सदा अमल में लायें सुसंस्कार। संस्कारों…

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आधुनिकता ने ढीठ बना डाला

माता पिता बच्चे का तुतलानाभी कैसे पूरी तरह समझ लेते हैं,बच्चा माँगे तोतली बोली में जो,माता-पिता वह सब लाकर देते…

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यथार्थ बोध

यथार्थ बोध के बिना,यथार्थ ज्ञान नहीं मिले,यथार्थ ज्ञान के बिना,विनीत भाव नहीं मिले। विनीत भाव के बिना,प्रेम-प्रीति नहीं मिले,प्रेम- प्रीति…

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नि:स्वार्थ श्रम करता है किसान

खामोशी से सभी काम होते हैं,किसान खेत में काम करते हैं,जैसे पेंड़ और पौधे छाया देते हैं,किसान हम सबको अनाज…

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समालोचना

कविता की रचना जब कोई कविअपनी कल्पना में जाकर करता है,यदि पाठक रचना में गलती खोजे,समालोचना उसका हक़ होता है।…

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भेड़िया आया-भेड़िया आया

सच बोलना मूलभूत प्रकृति वसंवेदनशील सहज प्रवृत्ति है,झूठ सुनकर यदि हमें दुख होता है,ऐसे झूठ से ग़ैर को भी दुख…

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भुवन भास्कर को प्रणाम

अंबर से धरती तक तीनों लोकों में,चमक रहे सूर्यदेव उनको प्रणाम है।जगत प्रकाशित जिनसे होता है,भुवन भास्कर तुमको प्रणाम है।…

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