November 2, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

निकलेगा परिणाम कल

आज तुम्हारे ढोल से, गूँज रहा आकाश !
निकलेगा परिणाम कल, होगा पर्दाफाश !!

जिनकी पहली सोच ही, लूट,नफ़ा श्रीमान !
पाओगे क्या सोचिये, चुनकर उसे प्रधान !!

नेता जी है आजकल, गिनता किसके नोट !
अक्सर ये है पूछता ?, मुझसे मेरा वोट !!

जात-धर्म की फूट कर, बदल दिया परिवेश !
नेता जी सब दोगले, बेचे, खाये देश !!

कर्ज गरीबों का घटा, कहे सदा सरकार !
चढ़ती रही मजलुम के, सौरभ सदा उधार !!

सौरभ सालों बाद भी, देश रहा कंगाल !
जेबें अपनी भर गए, नेता और दलाल !!

लोकतंत्र अब रो रहा, देख बुरे हालात !
वोटों में चलते दिखें, थप्पड़-घूसे, लात !!

देश बांटने में लगी, नेताओं की फ़ौज !
खाकर पैसा देश का, करते सारे मौज !!

पद-पैसे की आड़ में, बिकने लगा विधान !
राजनीति में घुस गए, अपराधी-शैतान !!

राजनीति नित बांटती, घर, कुनबे, परिवार !
गाँव-गली सब कर रहे, आपस में तकरार !!

✍ डॉ. सत्यवान सौरभ