
वह शक्ति हमें दो नारायण,
अपने पैरों पर खड़ा रहूँ ।
अपने पैरों पर ही चलकर,
तव दर्शन को प्रभु आ जाऊँ ।
इतनी सदबुद्धि देना प्रभु,
दिन रात बैठकर चरणों में,
हर शाम सुबह अपने प्रभु को,
मन में रखकर प्रणाम करूँ ।
शत वर्ष जियूँ या कम – ज़्यादा,
यह मर्ज़ी नाथ तुम्हारी है,
मेरी अर्ज़ी प्रभु इतनी है,
जीवन भर मेरी जिह्वा से
हे प्रभु तेरा नाम जपूँ।
परोपकार करने का वर,
हे नाथ मुझे बस मिल जाये,
आँखो से झलके प्रेम सदा,
मस्तक श्रद्धा से झुक जाये।
हाथों से हो उपकार सदा,
पैरों को सत्पथ दे देना,
मन में कर निश्चय सुमिरन का,
हे भगवन ये धन दे देना ।
हम सब तो सेवक हैं तेरे,
हे नाथ कृपा बरसा देना,
दुर्मति हम सबकी हर लेना,
सदबुद्धी नाथ हमें देना ।
वह शक्ति हमें दो नारायण,
अपने पैरों पर खड़ा रहूँ,
अपने पैरों पर ही चलकर,
तव दर्शन को प्रभु आ जाऊँ।
डा० कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’
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