मनुष्य के गुण चीनी से होने चाहिए
मेरी रचना, मेरी कविता ——X—— किसी एक पत्थर को ख़ूब तराश करदेवता की मूर्ति का रूप दिया जाता है,दूसरे बदनसीब पत्थर पर नारियलफोड़ कर मूर्ति को चढ़ाया जाता है। पहले…
मेरी रचना, मेरी कविता ——X—— किसी एक पत्थर को ख़ूब तराश करदेवता की मूर्ति का रूप दिया जाता है,दूसरे बदनसीब पत्थर पर नारियलफोड़ कर मूर्ति को चढ़ाया जाता है। पहले…
मेरी रचना, मेरी कविता हमारे जीवन में हर एक का प्रवेशकिसी न किसी उद्देश्य से होता है,कुछ लोग हमारी परीक्षा ले लेते हैं,कुछ हमें कुछ शिक्षा देकर जाते हैं। कुछ…
मेरी रचना, मेरी कविता ——XXXXX—— आजकल मेरे से वे ख़फ़ा ख़फ़ा हैं,उनकी हर बात दिल से ले लेता हूँ,जो भी कहें, कैसे स्वीकार कर लूँ,अपनी ख्वाहिशें क्यों दफ़न कर दूँ।…
मेरी रचना, मेरी कविता ——X—— विधाता की महिमा कितनी अजीब है,दुनिया को बनाकर स्वयं अदृश्य हैं,आँखों की ज्योति दी देखने के लिए,फिर भी दिखते बंद आँखों से ही हैं। भगवान…
हमारा मस्तिष्क, वचन और हमारेसत्कर्म हमारी शान्ति के आधार हैं,सत्य और अहिंसा तो परम धर्म है,पंथ निरपेक्षता जिसका सूक्ष्म मर्म है। यह भी सत्य है कि हमारे इतिहास मेंकदाचित युद्ध…
मेरी रचना, मेरी कविता——X—— भारतवर्ष हमारा प्यारा,कितना सुंदर कितना न्यारा।धरती से लेकर अम्बर तक,सागर से उठकर हिमगिरि तक।गंगा- यमुना धार निछावर,हर भारतीय की आँख का तारा।भारतवर्ष हमारा प्यारा,कितना सुंदर कितना…
पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात, सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात। धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार, दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार। ऊर्जा…
मेरी रचना, मेरी कविता ——•••——अनुभव बतलाता है कि हम लोग सबसेज़्यादा धोखा अपनी अच्छाई से खाते हैं,हम सामने वाले को बिलकुल वैसाही मान लेते हैं, जैसा वह दिखता है। क्योंकि…
—•— प्रातः स्मरण उनका सदैव करता हूँ,भवभीत सुरेश को ध्यान में रखता हूँ,गंगाधर बृषभारूढ़ का जाप करता हूँ,संसार रोग नाशकर्ता को भजता हूँ। नमामीश शम्भो हे निर्वाणरूपं,हरे विश्वव्यापी प्रभो वेदस्वरूपं,निर्गुणी…
कुछ लोग ग़ज़ब के होते थे,वे जानते थे जीना कैसे है,और मौत सामने आए जब,तब फिर मरना उनको कैसे है। कोटि कोटि नमन मेरा है उनको,आज जन्मदिन उनका पावन है,नाम…
●●●●●● सत क़र्म करो, सत धर्म धरो,जग जीवन में उपकार करो। सत क़र्म करो, सत धर्म धरो,जन जीवन पर उपकार करो,युगनिर्माण, प्रगति के पथ पर,उत्सर्ग रहित, उत्कर्ष करो,धरती से लेकर,…
●●●●●● हमारी सोच तुम्हारी ख्वाहिश हो यह जरूरी तो नहीं।ख्वाहिशें सारी कर दूँगा पूरी यह भी जरूरी तो नहीं।। वादा करता रहा और निभाया भी भरसक उसे मैंने।निभाने की वजह…
सर्व तपै जो रोहिणी,सर्व तपै जो मूरतपै जेठ की प्रतिपदा,उपजै सातो तूर,शुक्रवार की बादरी,रही सनीचर छाय,तो यों भाखै भड्डरी,बरखा बरसै आय। उठे काँकड़ा, फूली कास,अब नाहिन बरखा की आस,झबर झबर…
बारिस आयी बिजली चली गयी——XXXXX——बारिस आयी बिजली चली गयी,गर्मी कुछ कम हुई उमस बढ़ गयी,सावन सावन जैसा नही लग रहा,अब भी जेठ की तरह ही तप रहा। थोड़ी थोड़ी बारिस…
—XXXXX—— ईश्वर का घर मेरा मनमंदिर हो, प्रेम सुधा सदा इसमें रख लूँ मैं, नर देह मिली है मुझको जिसको, हरि नाम सदा मन से जप लूँ मैं। सद्भाव अभाव…