Category: कविता

ललित कला और काव्य-कौमुदी

ललित कला है प्रवीणता,तो भावों का उद्गार है कविता,वैचारिक साधना है कविता,ईश्वर प्रदत्त उपहार है कविता। शृंगार, करुण, वीभत्स, वीर रस,अद्भुत, रौद्र, भयानक, शान्त रस,वात्सल्य प्रेम व भक्ति विनय रस,कवि…

कविता देती है रसधार

मेरी रचना, मेरी कविता ——XXXXX——मैं नही वियोगी कभी रहा,पर कविताएँ लिखता था,कभी विरह में नही जला,पर गीत, ग़ज़ल रचता था। कल्पना मेरी, लेखनी मेरी,इस मन-मानस के साथी हैं,सोच- समझ की…

काव्य कल्पना कवि की रचना

मेरी रचना, मेरी कविता ——X—— कवि हृदय व्यथित हो जाता है,सामाजिक झँझावातों से,कल्पना लोक, संभ्रमित करे,रचना रूपी ख़्यालातों से । सरगम के सप्त स्वरों का लय,शुभ इंद्र धनुष के सात…

चंदा मामा तो भारत के मामा हैं

भारत भर में ख़ुशियाँ छाईं हैं,दुनिया को ये ख़ुशियाँ भाईं हैं,चन्द्रयान -3 ने भारत से चाँद परभारत की करी सफल उतराई है। चंदा मामा तो भारत के माँ माँ हैं,आज…

कविता दर्शन

कविता दर्शन इस जीवन केनिज कृत कृत्य दिखाता है,कविता दर्पण साहित्य सृजनकी महिमा मण्डन करवाता है। मैं कविता रचकर अभिलाषा का,हृदय श्रोत, कर शान्ति पिपासा का,धड़कन हर धड़कन में घूम…

निष्काम प्रेम

मेरी रचना, मेरी कविता ——X—— आज ज़माना क्या फिर आयेगा,राधा कृष्ण का त्याग बतलायेगा,निष्काम प्रेम की वो आधारशिला,जो नि:स्वार्थ जीवनपर्यंत निभायेगा। मित्रता की नींव अगर भावनाओं से,जुड़ी है तो इसका…

श्रीकृष्ण से कह देना

मेरी रचना, मेरे गीत ——XXXXX——श्रीकृष्ण से कह देना,मेरी बात सुना करके,रोती हैं सखियाँ सारी,सुध करके गोकुल में॥श्रीकृष्ण से … उधौ जी उनसे कहना,राधिका भी रोती हैं,कान्हा कान्हा करके,बरसाने में अकेले…

भगवद्गीता की प्रासंगिकता

मेरी रचना, मेरी कविता ——X—— जाड़ा, गर्मी और बरसात का असर,जग के हर इन्सान के ऊपर पड़ता है,इंसान परिस्थितियों का दास ही है,उन पर निर्भरता तो स्वाभाविक है। काव्य कल्पना…

मान सम्मान तिरंगे का रखना

मेरी रचना, मेरी कविता——X——राष्ट्रप्रेम का भाव भरा है हर इकभारतवासी के तन के रोम रोम में,जहाँ तिरंगा ध्वज बन जाता है,सफ़ेद मूली, गाजर व हरी मिर्च में। हर घर तिरंगा…

स्वाधीनता का अमृत महोत्सव

——X—— कुछ नशा मातृभूमि की शान का है,कुछ नशा तिरंगे की आन का है।77वें स्वतंत्रता दिवस पर लहराएँगेतिरंगा, नशा भारत के सम्मान का है। अमृत महोत्सव देश की आज़ादी का,हर…

मेरी रचना, मेरी कविता

पेंड़ तो नि:स्वार्थ छाँव देता है खामोशियों से भी नेक काम होते हैं,हमने पेंड़ों को छाँव देते हुए देखा है,पेंड़ छाँव ही नही प्राण वायु भी देते हैं,पेंड़ फल, फूल…

रंग दे बसंती चोला गाते गीत चले थे

——X—— पंद्रह अगस्त सन् सैंतालीस कोमेरा भारत आज़ाद हुआ था,सत्य-अहिंसा और शांति काक़ौमी नारा साकार हुआ था। गाँधी, नेहरू, सुभाष, सावरकर,सरदार पटेल मिल साथ लड़े थे,भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु,फंदा चूम…

आदित्य लहराये ऊँचा तिरंगा न्यारा

मेरी रचना, मेरी कविता ——X—— आजकल उंगली ही निभा रही है रिश्ते,पर जुबाँ से निभाने का अवसर कहाँ है,टच में व्यस्त सब, टच में है कोई नहीं,नज़दीकियों की दूरियाँ हैं…

मेरी रचना, मेरी कविता

शिव आराधना——XXXXX——शिव ॐ कार, शिव चंद्रभाल,शिव महादेव, शिव व्याघ्र छाल,शिव महाकाल, शिव नील कंठ,शिव त्रिशूलधर, शिव भो कराल। स्वरूप सुंदर सत्य शिवॐ का,जटा जूट सी घटा सुव्योम की,किरीट शीश सोम…

इंसान को इंसान समझना बस

मेरी रचना, मेरी कविता आज के प्रशंसकों और शुभचिंतकोंकी सोच में मात्र एक अंतर होता है,प्रशंसक तो हमारी स्थिति देखता है,पर शुभचिंतक परिस्थिति देखता है। इंसान को इंसान समझना आज,इस…