December 27, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

पुनर्वास के संबंध में एक वृहद कार्यशाला का आयोजन

बलिया(राष्ट्र की परम्परा)

वन विभाग के तत्वावधान में बांसडीह रेंज के अंतर्गत दहताल रेवती के किनारे ग्राम बिशनपुरा ग्राम में खोड़ावीर बाबा मंदिर के प्रांगण में डॉल्फिन कंजर्वेशन और उनके पुनर्वास के संबंध में एक वृहद कार्यशाला का आयोजन कि या गया।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि श्री भगवान राय,फाउंडर संस्थापक IBRAD कोलकाता आमंत्रित थे। कार्यशाला में उपस्थित विशिष्टजन द्वारा डॉल्फिन पुनर्वास, पर्यावरण संरक्षण एवं वन्यजीवों के पुनर्वास के संबंध में विस्तार से अपने विचार रखें। श्री सत्येंद्र सिंह जी द्वारा अपना विचार रखा गया एवं कौशल सिंह मंडल अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी द्वारा डॉल्फिन कंजर्वेशन के संबंध में अपने विचार रखे गए।
विमल कुमार आनंद प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी प्रभाग द्वारा कार्यशाला में उपस्थित समस्त अतिथियों का स्वागत किया गया तथा डॉल्फिन, उसके रहन-सहन, उसके प्रकार और उससे होने वाले नदियों एवं मानव मात्र के लाभ के बारे में विस्तार बताया गया। उनके द्वारा डॉल्फिन के रखरखाव बचाव एवं उनके मानव से नजदीकी के संबंध में अवगत कराया गया। उनके द्वारा बताया गया की डॉल्फिन जिसे आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में सोंस के नाम से जाना जाता है। वह उन स्थानों पर निवास करना पसंद करते हैं,जहां प्रदूषण की मात्रा नदियों में नहीं होती है। एक तरह से डॉल्फिन का निवास यह बताता है कि क्षेत्र में प्रदूषण की मात्रा नहीं है या कम है। उनके द्वारा मछुआरों से संवाद कर जागरूक किया गया कि मछलियों को पकड़ते समय कभी कभी डॉल्फ़िन भी आपके जल में आ जाती हैं। इस स्थिति में उन डॉल्फिन्स को पकड़े नहीं, वरन उन्हें उनके सुरक्षित प्राकृतवास में छोड़ दें, उन्हें कदापि कोई हानि न होने दिया जाए तथा उनके संरक्षण में योगदान देने के लिए कहा गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भगवान राय फाउंडर IBRAD कोलकाता द्वारा विधिवत रूप से अपने विचार रखे गए। विद्यालय के बच्चों से संवाद किए गए। प्रकृति के संरक्षण और उसके महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई। उनके द्वारा उपस्थित गणमान्य नागरिकों, बच्चों से संवाद कर प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए वचनबद्ध किया गया। प्रोफ़ेशर भगवान राय द्वारा भी उपस्थित मछुआरों से संवाद का जल जीवन के संरक्षण और रखरखाव के संबंध में चर्चा की गई तथा डॉल्फिन संरक्षण के लिए आवश्यक सुझाव दिए गए।