December 5, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

खुद का किरदार ढूँढ रहा हूँ

क्या दूसरों की कहानी में मैं
खुद के किरदार ढूँढ रहा हूँ,
क्या मैं नि:शब्द हो गया हूँ,
इसलिए कुछ शब्द ढूंढ़ रहा हूँ।

पर मेरी कहानी दूसरे से ज़्यादा
स्वयं मेरे ऊपर ही लागू होती है,
दूसरे अगर इसमें अपनी छवि भी
देख पाते हैं, मुझे ख़ुशी होती है।

अपना अस्तित्त्व तो अपना होता है,
उसे दूसरे से जोड़ना तो भूल होती है,
रिश्तों की बात तो भरोसे से होती है,
हर रिश्ते की एक मर्यादा जो होती है।

जब अपना अंतर्मन महसूस करे
जग में उसे सफलता कहते हैं,
और तभी हम अपनी कमजोर
नब्ज भी स्वयं पकड़ सकते हैं।

जिस झूठ पर विश्वास किया जा
सके उसे झूठ नहीं कह सकते हैं,
बहती लहरों को रोक नहीं सकते
पर उनके साथ किनारा पा सकते हैं।

जो व्यक्ति समाज के सामने ही नहीं,
पीठ पीछे भी किसी का हित करते हैं,
उनके जीवन चरित्र औरों के लिए भी
प्रायः अनोखा उद्धरण पेश करते हैं।

अपना कर्तव्य धैर्य पूर्वक पूर्ण
शान्ति से जो लोग निभा पाते हैं,
उनके व्यक्तित्व सिर से पैरों
तक जगमग करते लहराते हैं।

जीवन की ख़ुशहाली अक्सर
जीवन चर्या पर निर्भर होती है,
ऐसी ख़ुशहाली सौभाग्य से तो
किसी किसी को ही मिल पाती है।

आदित्य सपने सच होते हैं जिनकी
प्रवृत्ति आत्मविश्वास भरी होती है,
और तभी उनकी ख्याति दुनिया में
दूर तलक अपनी महक बिखराती है।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’