June 16, 2025

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न खर्ची न पर्ची,पूरी पारदर्शिता के साथ बिना रिश्वत व सिफारिश से हुई भर्ती मॉडल को सभी राज्यों ने अपनाना समय की मांग 

48 लाख आवेदनों में से 60244 उम्मीदवारों का योग्यता व कौशलता के बल पर चयन का जबरदस्त आगाज़ 

मेरे सामने 60244 अभ्यर्थी बैठे हैं,उनके सामने हिम्मत से कह रहा हूं कि किसी को भी एक रूपए की रिश्वत नहीं देनी पड़ी है केंद्रीय गृहमंत्रीकी सराहनीय हुंकार को सेल्यूट-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भ्रष्टाचार रूपी महामारी का डंक पूरी दुनियाँ का हर देश झेल रहा है जिसके उपाय रूपी वैक्सीन का आविष्कार शायद अभी किसी देश ने नहीं किया है,परंतु उपायों पर काम ज़रूर चल रहा है,अगर मन में संकल्प हो,व दिल मेंज़ज्बा लेकर भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकना है तो, मेरा मानना है कि डंके की चोट पर सरकारी नौकरियों में न खर्ची न पर्ची, पारदर्शिता के साथ बिना रिश्वत व सिफारिश के साथ भारती करना होगा जिसमें पीएम से लेकर सीएम तक व गृहमंत्री से लेकर अंतिम स्टेज के कर्मचारियों को पूर्ण सहयोग करना होगा। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि रविवार 15 जून 2025 को मैं देर शाम से टीवी चैनलों इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया से लगातार टच में रहकर यूपी के लखनऊ के डिफेंस एक्सपो मैदान स्थल पर बड़े पैमाने पर चल रहे 60244 अभ्यर्थियों के जॉइनिंग लेटर सौंपने का समारोह चल रहा था जिसपर मीडिया के माध्यम से मेरी पूरी नजर लगी हुई थी, उसमें माननीय केंद्रीय गृहमंत्री ने दिल को छू लेने वालीबात कही कि यहां 60244 अभ्यर्थी बैठे हैं, हिम्मत से कह रहा हूं कि किसी को भी एक रूपए रिश्वत नहीं देनी पड़ी,बस! यही बात और यही मॉडल मैं एडवोकेशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र, चाहता हूं कि पूरे देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जाए जो, माननीय पीएम और गृहमंत्री ही कर सकते हैं,सेल्यूट सर।चूँकि आज देश के सामने इतनी बढ़ी भर्ती व पारदर्शिता की गारंटी वाली मिसाल कायम हुई है,इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे न खर्ची न पर्ची पारदर्शिता के साथ बिना रिश्वत व सिफारिश से हुई भर्ती मॉडल को सभी राज्यों ने अपनाना समय की मांग है। 

साथियों बात अगर हम लखनऊ के डिफेंस एक्सपो मैदान पर 15 जून 2025 को चल रहे नौकरी जॉइनिंग लेटर सौंपने का समारोह की करें तो,यूपी में 60,244 चयनित सिपाहियों को जॉइनिंग लेटर दिए गए। इनमें से 15 को केंद्रीय गृहमंत्री और सीएम ने लेटर बांटे। बाकियों को समारोह स्थल पर दिए गए। यूपी में पहली बार ऐसा हुआ, जब इतने बड़े पैमाने पर जॉइनिंग लेटर बांटे गए।चयनित सिपाहियों को 1,300 बसों से लखनऊ लाया गया।गृहमंत्री ने लखनऊ के डिफेंस एक्सपो मैदान में कहा- यूपी सरकार में अब गुंडों का फरमान नहीं चलता। इस काम को आप सभी 60 हजार युवाओं को और आगे बढ़ाना है। अगले पांच सालों में ऐसी व्यवस्था हो जाएगी कि किसी भी एफआई आर के बाद तीन साल के भीतर उसपर सुप्रीम कोर्ट तक फैसला हो जाएगा। उन्होंने कहा- पहले 11 राज्यों में नक्सलवाद हुआ करता था। पिछले 11 वर्षों में केंद्र सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ लगातार कार्रवाइयां कीं। मेरी बात याद रखना, 31 मार्च, 2026 तक भारत नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा।आगे बोले- बिना पर्ची, बिना खर्ची के हुई ये भर्ती रेखांकित करने योग्य है पिछली सरकारों में कई सारी भर्तियां भी हुई,परंतु मेरे सामने 60,244 अभ्यर्थी बैठे हैं। मैं उनके सामने हिम्मत के साथ कह रहा हूं कि किसी को एक रुपए की रिश्वत किसी को देनी नहीं पड़ी है। भर्ती पारदर्शिता के साथ हुई है। न खर्ची, न पर्ची, सिफारिश से भी नहीं, जाति के आधार पर भी नहीं, और भ्रष्टाचार से भी नहीं। योग्यता के आधार पर 48 लाख आवेदन में से आपका चयन आपकी योग्यता के आधार पर हुआ है।सिपाही भर्ती में 12 हजार से अधिक बच्चियां हैं, जिनके चेहरे की मुस्कान और तेज देखकर काफी सुकून मिला है। गृहमंत्री ने कहा कि 60,244 युवाओं के लिए आज का दिन शुभ है।चयनित सिपाही बोले- एक भी रुपया घूस नहीं लगा। सीएम ने कहा- याद रखना ट्रेनिंग में जितना पसीना बहेगा, खून उतना कम बहेगा। गरीब से गरीब परिवार का बेटा सिपाही बना है। 8 वर्षों में डबल इंजन सरकार ने यूपी के युवाओं को साढ़े आठ लाख से अधिक सरकारी नौकरियां दी गईं, चाहे दलित हों, पिछड़े, महिला या पुरुष सबको बिना किसी भेदभाव के भर्ती का अवसर मिला है। उन्होंने अच्छी पुलिस साबित होने का संदेश दिया है। 

साथियों बात अगर हम 60244 अभ्यर्थियों के सिलेक्शन की पूरी प्रक्रिया की करें तो,48 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में 150 सवाल पूछे गए थे। हर सवाल के 2 नंबर तय थे, यानें कुल 300 नंबरों की परीक्षा हुई थी। माइनस मार्किंग भी थी,हर गलत सवाल पर 0.25 नंबर काटे गए।सिपाही भर्ती परीक्षा के लिए लिखित परीक्षा के बाद 1,74,316 अभ्यर्थियों को फिजिकल टेस्ट के लिए बुलाया गया था। 10 से 27 फरवरी 2025 के बीचफिजिकल टेस्ट कराया गया,इसके बाद नॉर्मलाइज्ड स्कोर और आरक्षण नियमों के आधार पर फाइनल मेरिट लिस्ट तैयार की गई। तीन महीने पहले, यानी 13 मार्च को फाइनल रिजल्ट घोषित किया गया था।12,048 महिलाओं और 48,196 पुरुषों ने परीक्षा पास की थी। जिसके आधार पर अंतिम रिजल्ट निकला। 

साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार के डंक से अर्थव्यवस्था प्रभावित होकर विकास पर असर पड़ने की करें तो,भारत में भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है जो केन्द्रीय, राज्य और स्थानीय सरकारी संस्थानों की अर्थव्यवस्था को कई तरह से प्रभावित करता है। भारत की अर्थव्यवस्था को ठप करने के लिए भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया जाता है। 2005 में ट्रान्सपैरेंसी इंटरनेशनल द्वारा किए गए एक अध्ययन में दर्ज किया गया कि 62 पेर्सेंट से अधिक भारतीयों ने किसी न किसी समय पर नौकरी पाने के लिए एक सार्वजनिक अधिकारी को रिश्वत दी थी। 2008 में, एक अन्य रिपोर्ट ने दिखाया कि लगभग 50 पेर्सेंट भारतीयों को रिश्वत देने या सार्वजनिक कार्यालयों द्वारा सेवाओं को प्राप्त करने के लिए सम्पर्कों का उपयोग करने का प्रत्यक्ष अनुभव था। 2022 में उनके भ्रष्टाचार बोध सूचकांक ने देश को 180 में से 85वें स्थान पर रखा,इसपैमाने पर जहां सबसे कम रैंक वाले देशों को सबसे ईमानदार सार्वजनिक क्षेत्र माना जाता है। सरकारी समाज कल्याण योजनाओं से धन की हेराफेरी करने वाले अधिकारियों सहित भ्रष्टाचार में विभिन्न कारकों का योगदान है। उदाहरणों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटीअधिनियम और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान शामिल हैं।भ्रष्टाचार के अन्य क्षेत्रों में भारत का ट्रकिंग उद्योग शामिल है,जो अंतर्राज्यीय राजमार्गों पर कई नियामकों और पुलिस बन्धों को वार्षिक अरबों रुपये की उत्कोच देने के लिए मजबूर है। 

साथियों बात अगर हम भारत के महाशक्ति बनने में भ्रष्टाचार भी एक कसौटी होने की करें तो, भारत के महाशक्ति बनने की सम्भावना का आकलन अमरीका एवं चीन की तुलना से किया जा सकता है। महाशक्ति बनने की पहली कसौटी तकनीकी नेतृत्व है। दूसरी कसौटी श्रम के मूल्य की है। महाशक्ति बनने के लिये श्रम का मूल्य कम रहना चाहिये। तब ही देश उपभोक्ता वस्तुओंका सस्ता उत्पादन कर पाता है और दूसरे देशों में उसका उत्पाद प्रवेश पाता है। चीन और भारत इस कसौटी पर अव्वल बैठते हैं जबकि अमरीका पिछड़ रहा है।तीसरी कसौटी शासन के खुलेपन की है। वह देश आगे बढ़ता है जिसके नागरिक खुले वातावरण में उद्यम से जुड़े नये उपाय क्रियान्वित करने के लिए आजाद होते हैं। बेड़ियों में जकड़े हुये अथवा पुलिस की तीखी नजर के साये में शोध, व्यापार अथवा अध्ययन कम ही पनपते हैं। भारत और अमरीका में यह खुलापन उपलब्ध है। चीन इस कसौटी पर पीछे पड़ जाता है। वहां नागरिक की रचनात्मक ऊर्जा पर कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण है।चौथी कसौटी भ्रष्टाचार की है। सरकार भ्रष्ट हो तो जनता की ऊर्जा भटक जाती है। देश की पूंजी का रिसाव हो जाता है। भ्रष्ट अधिकारी और नेता धन को स्विट्जरलैण्ड भेज देते हैं। ट्रान्सपेरेन्सी इंटरनेशनल’ द्वारा बनाई गई सूची में भारत को ८४वां स्थान दिया गया है।पांचवीं कसौटी असमानता की है। गरीब और अमीर के अन्तर के बढ़ने से समाज में वैमनस्य पैदा होता है।सरकारी महकमे से उठी मांग उठ रही है कि भ्रष्टों पर सरकारी भत्ते की मौज हो बंद, तब रिश्वतखोरी के मामले रोकने में कामयाब होंगे। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि न खर्ची न पर्ची,पूरी पारदर्शिता के साथ बिना रिश्वत व सिफारिश से हुई भर्ती मॉडल को सभी राज्यों ने अपनाना समय की मांग। 48 लाख आवेदनों में से 60244 उम्मीदवारों का योग्यता व कौशलता के बल पर चयन का जबरदस्त आगाज़। मेरे सामने 60244 अभ्यर्थी बैठे हैं,उनके सामने हिम्मत से कह रहा हूं कि किसी को भी एक रूपए की रिश्वत नहीं देनी पड़ी है केंद्रीय गृहमंत्रीकी सराहनीय हुंकार को सेल्यूट।

– संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9359653465