Wednesday, October 29, 2025
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‘शब्द और स्टैंज़ा’ कविता संग्रह का कुलपति ने किया विमोचन

  • हीरक जयंती समारोह के अवसर पर अंग्रेजी विभाग में आयोजित हुआ कार्यक्रम

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हीरक जयंती समारोह के अवसर पर अंग्रेजी विभाग में बुधवार को एक विशेष कार्यक्रम में ‘ शब्द और स्टैंज़ा: बाइलिंग्वल क्रिएटिव वॉइसेस ’ कविता संग्रह का विमोचन कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन द्वारा किया गया। इस संग्रह में विभाग के शोधार्थियों और स्नातकोत्तर छात्रों द्वारा रचित 50 से अधिक हिंदी और अंग्रेजी कविताएं शामिल हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. पूनम टंडन, अध्यक्ष प्रो. अजय शुक्ला और अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात विभागाध्यक्ष प्रो. अजय कुमार शुक्ल ने स्वागत भाषण दिया और इस कविता संग्रह तथा कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह पुस्तक छात्रों की सृजनात्मकता और साहित्यिक प्रतिभा को उजागर करती है।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि यह छात्रों की साहित्यिक अभिव्यक्ति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा है कि ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है जहां विद्यार्थियों की रचनात्मक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए ऐसा प्रयास किया गया है जिसमें उनके द्वारा रचित कविताओं का संकलन कर किताब के रूप में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने इस पहल को एक अभिनव कार्य बताया और कहा कि इस पुस्तक का आईएसबीएन नंबर होना इसकी प्रामाणिकता को और बढ़ाता है। उन्होंने छात्रों और संपादक प्रो. अजय शुक्ल को इस सफलता के लिए बधाई दी।
इस कविता संग्रह में प्रेम, पौराणिक कथा, प्रकृति, नारीवाद, पर्यावरण, और सामाजिक मुद्दों जैसे विविध विषयों पर कविताएं शामिल हैं। यह पुस्तक न केवल छात्रों की साहित्यिक अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करती है बल्कि उनके रचनात्मक दृष्टिकोण को भी दर्शाती है।
कार्यक्रम में कुछ कविताओं का पाठ भी किया गया। शोधार्थी रिचा पल्लवी ने अपने अनुभव साझा किए, जबकि सुधांशु राय, अंजू उपाध्याय और पल्लवी शर्मा ने अपनी कविताओं का पाठ किया।

कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी विष्णु मिश्रा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन सुरभि मालवीय ने दिया। इस अवसर पर विभाग के सभी शिक्षकगण, शोधार्थी और छात्र उपस्थित रहे।

इस संग्रह में जिन 33 कवियों की कविताएं प्रकाशित हुई हैं, उनके नाम हैं: अदिति कृष्ण, आकांक्षा यादव, अंबिका सिंह, आनंद सिंह, अनीश कुमार सिंह, अंजली कुमारी, अंजू उपाध्याय, अंकित पाठक, आयुषी राव, दिव्या मिश्रा, हर्षिता तिवारी, जगदंबा वर्मा, जागृति ओझा, जान्हवी सिंह, खुशबू जायसवाल, कुशाग्र मिश्रा, मृणाल मंजरी, मुक्तेश नाथ द्विवेदी, नंदिनी वर्मा, नितेश कुमार सिंह, पल्लवी शर्मा, पिंकी राय, पूजा राय, प्राची रस्तोगी, ऋचा पल्लवी, रोहिणी सिंह, श्वेता उपाध्याय, सुधांशु राय, स्मृति वर्मा, सुरभि मालवीय, विष्णु मिश्रा, योगेंद्र योगी, और ज़हरा शमशीर।

इस पुस्तक के संपादक प्रो. अजय कुमार शुक्ल ने इसे छात्रों की सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने माननीय कुलपति को भगवान श्रीराम की प्रतिमा भेंट कर उनके प्रति सम्मान और आदर प्रकट किया। यह आयोजन विश्वविद्यालय के लिए गर्व का क्षण था, जिसने साहित्य और सृजनात्मकता के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई।

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