
दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा) दिल्ली के शाहदरा इलाके से लापता हुए एक 13 वर्षीय बच्चे की कहानी ने न सिर्फ उसके माता-पिता को फिर से जीने की उम्मीद दी, बल्कि समाज में चमत्कारों पर यकीन करने वालों की तादाद भी बढ़ा दी। दो साल पहले डांट के डर से घर छोड़ने वाला शंकर अब उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक ढाबे पर काम करते हुए मिला।
क्या है पूरा मामला?
30 जनवरी 2023 को शंकर शाह अचानक घर से लापता हो गया था। उस दिन उसके पिता ललित शाह ने फर्श बाजार थाने में बेटे के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई। लापता बच्चा दिल्ली की बिहारी कॉलोनी का रहने वाला था। परिजनों की पीड़ा हर गुजरते दिन के साथ गहरी होती गई, लेकिन उम्मीद उन्होंने नहीं छोड़ी।
देशभर में की गई तलाश
डीसीपी प्रशांत गौतम के अनुसार, पुलिस ने देश के सभी जिलों में नोटिस भेजे, दूरदर्शन और सीबीआई सहित विभिन्न माध्यमों से शंकर की तस्वीरें प्रसारित करवाईं। यहां तक कि अगस्त 2023 में शंकर का पता बताने वाले को ₹10,000 का इनाम घोषित किया गया।
कैसे मिला सुराग?
20 मई 2025 को अचानक एक अनजान नंबर से शंकर ने अपने पिता को फोन किया। कॉल रिकॉर्ड खंगालने पर लोकेशन मिली – उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के फेरू माजरा गांव। पुलिस टीम वहां पहुंची और 12 जून को शंकर को सकुशल बरामद किया गया। अगले दिन सभी कानूनी औपचारिकताओं के बाद उसे परिजनों को सौंप दिया गया।
शंकर ने क्या बताया?
शंकर ने बताया कि डांट से दुखी होकर वह आनंद विहार रेलवे स्टेशन से किसी भी ट्रेन में बैठ गया। ट्रेन ने उसे सहारनपुर पहुंचा दिया, जहां वह एक ढाबे पर काम करने लगा। ढाबा मालिक ने उसे खाना और रहने की जगह दी और वह दो साल तक वहीं रहा।
भावुक हुआ परिवार
जैसे ही शंकर अपने परिवार से मिला, मां-बाप की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे। बेटे को खो देने का दर्द और फिर उसे वापस पाने की खुशी, दोनों ही भावनाएं आंखों से झलक रही थीं।
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि उम्मीद की लौ कभी नहीं बुझनी चाहिए।
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