May 16, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

शिक्षक सम्मान/पुरस्कार-एक जिम्मेदारी एक जागरूकता-मृत्युंजय कुमार

पटना(राष्ट्र की परम्परा)
हम सभी भली-भांति जानते हैं कि शिक्षक सम्मान किसी भी शिक्षक के नवाचार, मेहनत और समर्पण का प्रतीक होता है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि सम्मान उसी मंच से मिले जहां पारदर्शिता, सटीक मूल्यांकन और प्रमाणिकता हो ताकि सम्मान की गरिमा बनी रहे।
हाल के दिनों में कुछ ऐसे मंच भी उभर आए हैं जो शिक्षकों को सम्मान के नाम पर भ्रमित कर रहे हैं।

बिना किसी ठोस मापदंड के पुरस्कार देना।
और सबसे चिंताजनक-सम्मान के नाम पर शुल्क (पैसा) लेना।
क्या कोई सम्मान खरीदा जाना चाहिए..?
क्या केवल फोटो, वीडियो या भुगतान करके कोई भी शिक्षक “सम्मानित” कहलाने का अधिकारी है..?
मृत्युंजय कुमार, शिक्षक, नवसृजित प्राथमिक विद्यालय खुटौना यादव टोला प्रखंड-पताही जिला-पूर्वी चंपारण ने कहा कि ऐसी प्रथाएं न केवल शिक्षक समुदाय के विश्वास को ठेस पहुंचाती हैं बल्कि सम्मान की गंभीरता को भी कम करती हैं। हमें इन भ्रामक गतिविधियों से सावधान रहने की आवश्यकता है और ऐसे मंचों का साफ तौर पर विरोध करना चाहिए ताकि किसी भी शिक्षक को आर्थिक और भावनात्मक रूप से ठगा न जा सके, सच्चा सम्मान उसे मिलना चाहिए जिसने वास्तव में शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार किया हो, बच्चों के भविष्य को संवारने में कुछ नया और असरदार किया हो—ना कि उसे, जो केवल तस्वीरें साझा कर या पैसे देकर मंचों की रेटिंग बढ़ा रहा हो।
बिहार में कई शिक्षक नवाचार कर रहे हैं, लेकिन अपने कार्यों को सही पहचान तभी मिल पाएगी जब वे ऐसे प्लेटफॉर्म को चुनें जो पारदर्शी हो, निःस्वार्थ भाव से काम करता हो और बिना किसी शुल्क के शिक्षकों के कार्य को आगे लाने का प्रयास करता हो।
इसी संदर्भ में “टीचर्स ऑफ बिहार-द चेंज मेकर्स” एक ऐसा समूह है जो:-
पिछले छह वर्षों से शिक्षकों के नवाचार को निःशुल्क बढ़ावा दे रहा है। किसी भी प्रकार का शुल्क लिए बिना शिक्षकों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रहा है।
एनसीईआरटी एवं एससीईआरटी जैसी संस्थाओं द्वारा भी इसके कार्यों की सराहना की जा चुकी है।बालमंच, प्रज्ञानिका, अभिमत, बालमन, दैनिक ज्ञानकोष,चेतना जैसी कई पत्रिकाओं एवं सैकड़ो कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों और विद्यार्थियों की प्रतिभा को मंच प्रदान करता है।
टीचर्स ऑफ बिहार का उद्देश्य केवल और केवल शिक्षकों के कार्य को पहचान दिलाना है, न कि किसी प्रकार की आर्थिक गतिविधि करना। यदि कहीं भी सम्मान के नाम पर शुल्क वसूली या भ्रामक गतिविधियां चल रही हैं, तो हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि इसका विरोध करें ताकि शिक्षकों की मेहनत और सम्मान की गरिमा बनी रह सके।
तो आइए, सही मंच चुनें, शिक्षक सम्मान की पवित्रता को बनाए रखें और अपने नवाचार को उस ऊंचाई तक पहुंचाएं जहां वह वास्तविक रूप में सराहा जाए। हमें तय करना होगा:-क्या हम उस भीड़ का हिस्सा बनेंगे जो नाम के सम्मान के पीछे भागती है, या उस सोच का जो सम्मान की सच्ची परिभाषा को जिंदा रखती है…?
आइए, जिम्मेदार बनें। सही मंच चुनें। गलत प्रवृत्तियों का विरोध करें। और शिक्षक सम्मान की गरिमा को बनाए रखें।