
श्रीमद् भागवत कथा- अहंकार है भगवान का भोजन
भाटपार रानी/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। तहसील क्षेत्र स्थित सूरवल गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान वृंदावन से पधारे आचार्य पवन बिहारी शर्मा द्वारा छप्पन भोग व गोवर्धन पूजा के का श्रवण कराया गया । जहां कथा व्यास ने गोवर्धन पूजन के महत्व को विस्तार से बताए आचार्य ने बताया कि भगवान इन्द्र जब प्रकोप में थे तब उन्होंने वर्षा करके कहर बरपाया। चारों ओर हाहाकार मच गई। गांव जलमग्न होने लगे तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठा लिए। इससे गांव के सभी लोग गोवर्धन पर्वत के नीचे गए और वहां शरण ली।
भगवान अभिमानियों का अभिमान मर्दन करने में थोड़ा भी बिलंब नहीं करते हैं। अहंकार ही उनका भोजन है। इंद्र अहंकार में आकर प्रलयकारी वृष्टि करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र का मान नष्ट करके गिर्राज पूजा कराई । तब सभी बृजवासियों ने गोवर्धन पहुंचकर गोवर्धन पर्वत का पूजन किया और 56 भोग लगाया। उन्होंने कहा कि आज भी वृदांवन में बांके बिहारी को दिन में आठ बार भोग लगाया जाता है। पूरे सात दिन भगवान श्रीकृष्ण ने भूखे प्यासे गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा था। भागवत कथा के दौरान भगवान कृष्ण के विभिन्न बाल कलाओं का कथावाचक द्वारा कथा श्रवण कराया गया।इस अवसर पर भगवान कृष्ण के मटकी फोड़ लीला का अद्भुत वर्णन किया गया। उन्होंने बाल अवस्था में कालिया नाग का संहार करके यमुना जी को पवित्र किया, पूतना और बकासुर जैसी मायावी शक्तियों का अंत किया, और ब्रजभूमि में कंस मामा का वध करके अपने माता-पिता देवकी और वासुदेव तथा नाना उग्रसेन महाराज को कारागार से मुक्त कराया। कथा के दौरान गायकों के भजनों की प्रस्तुति से श्रद्धालु झूम उठे। कथा श्रवण के दौरान कथा के मुख्य यजमान सेवानिवृत प्रधानाचार्य रामदुलार मिश्र, अनिल मिश्र, श्रीमती अर्चना देवी, अभिषेक मिश्रा ,आयुष ,अनुष्का, दीनानाथ मद्धेशिया, रामनाथ ,पंचदेव मिश्र, भगवान ओझा, रमाकांत यादव, सुनीता मिश्रा ,अनीता मिश्रा, श्रीमती कलावती देवी, अखिलेश तिवारी, राजू तिवारी, लीलावती तिवारी, सहित भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।
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