संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। सूर्य उपासना का महापर्व छठ जिले में धूमधाम से मनाया जा रहा है। नहाय-खाय के साथ शुरू हुए पर्व के तीसरे दिन छठ व्रतियों ने आमी नदी किनारे, नहर किनारे और शहरों में बने स्थायी और अस्थायी घाटों पर आस्था की डुबकी लगाई और फिर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। व्रतियों के साथ ही उनके परिवारजनों ने भी छठ मइया का विधिवत पूजन-अर्चन किया।
इस दौरान व्रती महिलाएं गीतों के माध्यम से छठ मइया की महिमा की बखान भी किया। शुक्रवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा।
छठ घाटों पर दोपहर बाद से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। व्रती के साथ परिवार के लोग दोपहर बाद तीन बजे से घाटों पर पहुंचने लगे थे। यह सिलसिला अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने तक चलता रहा। पुरुष सिर पर टोकरी (दौरा) में पूजन सामग्री के साथ घाटों पर पहुंचे, जबकि कलश पर जलते दीपक के साथ व्रती महिलाएं नंगे पैर छठ मइया के गीत गाते हुए घाट पर पहुंचीं। सूर्य उपासना के इस महापर्व पर छठ मइया के जयकारे से पूरा वातावरण गूंज रहा था। कुछ श्रद्धालु अपनी मन्नतों के चलते घर से लेट कर घाटों तक पहुंचे। सूर्यास्त का समय होते ही छठ व्रती पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य की आराधना करने लगे। इसके बाद डूबते सूर्य को जल और दूध से अर्घ्य अर्पित किया।
इस दौरान घाटों पर युवाओं और बच्चों में भी गजब का उत्साह देखा गया। इस दौरान पारंपरिक छठ गीतों मारबउ रे सुगवा धनुष से.., कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए.., छठि मइया होइह सहाय.. से माहौल भक्तिमय बना रहा। शुक्रवार सुबह उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद पारण किया जाएगा। इसके साथ ही छठ व्रत पूरा हो जाएगा।
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