October 31, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

नाथ बिन हर पल सुन

भावनायें पुलकित पुलकित,
आशायें भी कम्पित कम्पित,
तेरी धुंधली छाया से चित्रित,
भूल गया तन रज मंजु मृदुल,
तुम बिन जीवन सूना सूना है,
नाथ तुम्हारे बिन हर पल सूना है।

हृदय हिलोरें ले रहा प्रफुल्लित,
तन-मन है कुसुमित कुसुमित,
मन मयूर नृत्य कर थिरकित,
आशायें उम्मीदें हुईं तरंगित,
तुम बिन श्रृंगार सूना सूना है,
नाथ तुम्हारे बिन हर पल सूना है।

हे माधव हे राघव श्रीहरि विष्णु,
अच्युत, केशव, गोपाल, कृष्ण,
अवधेश, सुरेश, लक्ष्मीपति हो,
आदित्य तुम ही कमलापति हो,
तुम बिन यह भक्त अधूरा है,
नाथ तुम्हारे बिन हर पल सूना है।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’