Categories: कविता

नीति वचन

दीपक बनकर तम दूर करें,
धरती जैसा हो सहिष्णु बने,
वृक्षों जैसा परोपकारी होकर
तन मन से सबका दुःख दूर करें।

समय गँवाना नही कभी,
चलते रहना है घड़ी जैसा,
निशि – वासर देते रहना
नियमित हों सूरज जैसा ।

पिपीलिकाओं सा संगठित रहें,
भोर में जग जाना ताम्रचूड जैसे,
एकाग्रता रखें बकुल की जैसी,
मेहनती बने मधु-मक्खियों जैसे।

मधुर बोल बोलें कोकिला जैसे,
वफ़ादार रहना तैनात श्वान जैसे,
पक्षी कागा की चतुराई रखकर,
काँटों के बीच रहना गुलाब जैसे।

ये कथन सनातन सभी सत्य हैं,
नीतिवचन मानिए सुभाषित जैसे,
आदित्य हम सभी के जीवन में यह
दिनचर्या हो ऋषियों के जीवन जैसे।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
rkpnewskaran

Share
Published by
rkpnewskaran

Recent Posts

जिंदा होकर भी कागजों में ‘मृत’ खड़क सिंह – न्याय के लिए वर्षों से लगा रहे अधिकारियों के चक्कर

देवरिया/सलेमपुर।(राष्ट्र की परम्परा)राजस्व विभाग की लापरवाही ने एक जिंदा व्यक्ति को कागजों में मृत घोषित…

1 minute ago

भ्रूण लिंग परीक्षण पर रोक व बेटियों के महत्व को लेकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

बलिया(राष्ट्र की परम्परा) महिला एवं बाल विकास विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में…

2 hours ago

चुनाव न लड़ने वाले पंजीकृत राजनीतिक दलों की मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने की सुनवाई

लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर उत्तर प्रदेश के मुख्य…

2 hours ago

ज्ञान के बल पर चला यह संसार है, इस मिट्टी पर सबसे पहले शिक्षक का अधिकार है- हरिवंश डांगे

डॉक्टर राधाकृष्णन जी का जन्म 5 सितंबर 1888 को मद्रास से 64 किलोमीटर दूर तिरूतन्नी…

2 hours ago

ज्ञान से रोजगार तक : बीमा सखी कार्यशाला बनी छात्राओं की सफलता का पुल

बिछुआ/मध्य प्रदेश (राष्ट्र की परम्परा)। शासकीय महाविद्यालय बिछुआ में स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ एवं…

2 hours ago

लगातार बारिश बढ़ते खतरे और हमारी जिम्मेदारी

"बारिश केवल राहत नहीं, जिम्मेदारी की भी परीक्षा है — बिजली से सावधानी, घर में…

2 hours ago