November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

माँ सरस्वती सब पर प्रसन्न हों

वसन्त पंचमी की नवपूजा होगी,
माँ सरस्वती तव अर्चना होगी,
वीणावादिनि की आरती होगी,
माँ शारदे श्वेतवस्त्रालंकृता होंगी।

वीणा के तार सरगम झंकृत होंगे,
मनमयूर झूमेंगे, आनंदित भी होंगे,
पीतवसना सब धराधाम होगा,
वन उपवन हरीतिमा भरा होगा।

वागदा शारदा माँ वरदायिनि हैं,
सुरदेवी सिद्धिदा स्वरदायिनि हैं,
ताल सरगम हो जाते सुगम हैं,
जयत्ति जय देवि मातु शारदे हैं।

पीत परिधान पहन कर आना है,
पावन पूजा आरती प्रसाद पाना है,
भारत के हर मंदिर हर पूजागृह में,
सारा दिन देवी गीत भजन गाना है।

आदित्य भाव भक्ति शक्ति हो,
माधुर्य स्वभाव, ओजयुक्त हो,
सुविचार सुसज्जित सुसंगत हों,
माँ सरस्वती सब पर प्रसन्न हों।

•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’