
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा संचालित सात दिवसीय वैल्यू एडेड कोर्स “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य हेतु योग” के पांचवें दिन प्रतिभागियों को दो विशिष्ट व्याख्यान प्राप्त हुए।
प्रथम सत्र में योग का वैश्विक स्वरूप एवं अभिनव प्रयोग विषय पर
डॉ. अनुपपति तिवारी, सहायक आचार्य, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया ने प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि योग केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता की साझा विरासत बन चुका है।
द्वितीय सत्र में एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य विषय पर डॉ. त्रिपुरेश कुमार त्रिपाठी, सहायक आचार्य, नेशनल पी.जी. कॉलेज, बड़हलगंज ने बोलते हुए कहा कि योग भारत की अमूल्य और प्राचीन विरासत है, जो आज की वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप अधिक प्रासंगिक हो गई है।
आयोजन न केवल योग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि योग एक वैश्विक सेतु के रूप में कार्य कर सकता है, जो राष्ट्रों और संस्कृतियों को जोड़ते हुए ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य, एक चेतना’ की भावना को सशक्त करता है।
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