May 16, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

राष्ट्र रक्षकों का सम्मान

युद्ध की आहट से लौटते कदम,
वो वीर, जो सीमाओं का श्रृंगार हैं,
छुट्टियों से अपने कर्तव्य की ओर,
बिना आरक्षण, बिना थके, बढ़ते हौसले हैं।

अगर रेलगाड़ी में उन्हें टॉयलेट के पास,
या किसी कोने में खड़ा पाएं,
तो अपने आरक्षित स्थान पर बैठाएं,
क्योंकि वे हमारे राष्ट्र की ढाल हैं।

सड़कों पर चलें अगर उनकी थकी पगडंडियाँ,
तो अपने वाहनों से अगले पड़ाव तक छोड़ आएं,
ये वही कंधे हैं, जिन्होंने सीमाओं को थामा है,
ये वही कदम हैं, जिन्होंने सरहदों को सजाया है।

राष्ट्र रक्षकों का सम्मान करें,
उनके बलिदानों का मान करें,
क्योंकि जब हम चैन से सोते हैं,
तब वे नींद का त्याग कर,
देश का कर्तव्य निभाते हैं।

-डॉ सत्यवान सौरभ
स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तम्भकार
भिवानी