
विस्थापन के तीन दशक बाद भी वापसी को तरस रहे हैं कश्मीरी
मुंबई (राष्ट्र की परम्परा)। अपने ही देश में कश्मीरी हिंदू विस्थापन की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। कश्मीरी हिंदुओं की घाटी में वापसी नहीं होने से उनमें आक्रोश व्याप्त हैं। ऐसे में हिंदू राष्ट्र सेवा संगठन महाराष्ट्र के अध्यक्ष राजा भाऊ सोनटक्के ने कश्मीरी हिंदुओं के लिए अलग से होमलैंड बनाने की मांग भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से की है। सोनटक्के ने एक पत्र में बताया कि अब तो जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है और यहां अनुच्छेद 370 की बाधा भी नहीं है। कश्मीर में पत्थरबाजी भी रुक गई है और पहले जैसी हिंसा भी नहीं है। ऐसे में कश्मीरी हिंदू चाहते हैं कि सरकार घाटी में उनका किसी सुरक्षित जगह पुनर्वास करवाए। कश्मीरी हिंदुओं के लिए कोई नीति बनाए सरकार। बताया जाता है कि चुनाव होते हैं, तो विभिन्न पार्टियां उनका वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती हैं. अब तक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए।. इसको लेकर कश्मीरी हिंदू संगठनों में भी हलचल है।. सोनटक्के ने मांग की है कि सरकार कश्मीरी हिंदुओं के लिए कोई नीति तो बनाए, कश्मीरी हिंदू घाटी में अपनी मिट्टी से जुड़ना चाहते हैं। घाटी में बसना चाहते हैं और इसके लिए सरकार को कश्मीरी हिंदुओं से बातचीत करनी चाहिए।.
बता दें कि आतंकवाद की वजह से हिंदू हुए थे विस्थापित
पिछले ३५ वर्ष घर-संपत्ति सब कश्मीर में छोड़कर कश्मीरी विस्थापन की जिंदगी जी रहे हैं हैं। कुछ हिंदू कश्मीरी के अनुसार वे गांवों में नहीं जा सकते और न ही अकेले अकेले रह सकते है।इन हालात में कश्मीरी हिंदू चाहता है कि घाटी में उनको कहीं एक साथ बसाया जाए, इसके लिए कश्मीरी हिंदुओं के लिए अलग से कॉलोनियां बनाए जाने की जरूरत है.। मगर 1990 में आतंकवाद की वजह से कश्मीरी हिंदुओं को घाटी से विस्थापित होना पड़ा था। अब कश्मीरी हिंदू अपनी शर्तो के हिसाब से घाटी लौटना चाहते हैं और सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि कश्मीरी हिंदुओं से बातचीत की जाए।
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