October 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

डाक्टर भगवान का रूप होते हैं

डाक्टर भगवान का रूप होते हैं,
अब तक यह कहा जाता रहा है,
पर अब ये क्लीनिक में देखते हैं,
अपनी दुकान से दवा दिलाते हैं।

फिर शैतान बन कर दवा का मूल्य
आठ-दस गुना मरीज़ से वसूलते हैं,
भगवान तो भगवान अब भारत में
डाक्टर इन्सान भी नहीं रह गये हैं।

रोग कितना भी जटिल क्यों न हो,
चिकित्सा पेशेवर बनकर करते हैं,
दुकानदारी व्यापारी जैसी करते हैं,
अब डाक्टर ख़ुद दलाली करते हैं।

नियंत्रण इन पर न सरकार का है,
नियंत्रण इन पर न अदालत का है,
भगवान के स्वरूप स्वयंभू होते हैं,
उस ऊपर वाले से भी नहीं डरते हैं।

आदित्य रोगी का आधा रोग तो,
डाक्टर के मीठे बोल से दूर होता है,
पर मीठा बोलने वाले डाक्टर तो अब
बहुत मुश्किल से ही कहीं मिलते हैं।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’