मेरी रचना, मेरी कविता मनुष्य जीवन लाखों जन्म के भोगोंके बाद ही बड़े भाग्य...
कविता
कबूतर ने गुंटरगूं करते हुएनए वर्ष की आहट दी।चंहचहाती हुई चिड़ियों नेमुंडेर पर आकरघोंसले...
दिसंबर कीइस अंतिम शाम ने पूछाक्या बात हैइतने उदास क्यों हो!लेखा जोखा हैहमारे पासगुजरे...
राम रहीम फिर बाँटते,खैराती आशीष।मंन्त्री जी है ले रहे,झुका झुका कर शीश।।1।। संत बलात्कारी...
जिनके सच्चे प्यार ने, भर दी मन की थोथ ।उनके जीवन में रहा, हर...
भगत सिंह, सुखदेव क्यों, खो बैठे पहचान।पूछ रही माँ भारती, तुम से हिंदुस्तान।। भगत...