July 16, 2025

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बीएसएफ जवान की पत्नी के साथ सामूहिक दुष्कर्म, देवर समेत सात पर मुकदमा दर्ज

पीलीभीत (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि समाज के नैतिक पतन की भयावह तस्वीर भी पेश की है। यहां एक बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के जवान की पत्नी के साथ उसके ही ससुराल में सामूहिक बलात्कार की घटना सामने आई है। आरोप है कि महिला के दो देवरों ने उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया और उसकी अश्लील वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल भी किया।

घटना की जानकारी

पीड़िता ने पुलिस को दिए गए बयान में बताया कि जब उसका पति देश सेवा के लिए सीमा पर तैनात था, तब उसके अपने ही देवरों ने उसे अकेला पाकर बार-बार अपनी हवस का शिकार बनाया। महिला ने आरोप लगाया कि उसे धमकाया गया, मारपीट की गई और उसका वीडियो बनाकर उसे चुप रहने के लिए मजबूर किया गया। जब उसने इसका विरोध किया तो उसे ससुराल में लगातार प्रताड़ना झेलनी पड़ी।

एफआईआर और गिरफ्तारी:

जहानाबाद थाना प्रभारी मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि पीड़िता की तहरीर पर सात लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। इनमें महिला के ससुर, सास, दो देवर और अन्य तीन रिश्तेदार शामिल हैं। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एक आरोपी देवर हरिओम को गिरफ्तार कर लिया है जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

धाराएं और आरोप:

एफआईआर में आरोपियों के खिलाफ बलात्कार, आपराधिक धमकी, मारपीट, महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाने, ब्लैकमेलिंग जैसी गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस ने कहा है कि यह मामला बेहद संवेदनशील है और पीड़िता की सुरक्षा के साथ-साथ उसे जल्द न्याय दिलाने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया:

पुलिस अधीक्षक और महिला सुरक्षा प्रकोष्ठ भी इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया गया है और उसे काउंसलिंग व सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। थाना प्रभारी ने कहा कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है।


समाज के लिए संदेश:

यह घटना न केवल एक महिला के साथ हुई वीभत्सता को उजागर करती है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि जब एक फौजी देश की सीमाओं पर तैनात होकर नागरिकों की सुरक्षा करता है, तो उसके पीछे छूटे परिवार की सुरक्षा का जिम्मा कौन उठाएगा? यह मामला बताता है कि समाज में बेटियों और बहुओं की सुरक्षा केवल कानून नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और जिम्मेदारी से ही सुनिश्चित हो सकती है।