
मुंबई (राष्ट्र की परम्परा )मुंबई 1949 का बुद्ध मंदिर कानून को निरस्त किया जाए और बुद्धगया के महाबोधि महाविहार को बौद्धों के हाथ में सौंपा जाय इस मांग को लेकर चेंबूर के वासीनाका में बौद्ध बंधुओं ने विशाल मोर्चा निकालकर तीव्र प्रदर्शन किया। इस मोर्चे में हजारों बौद्धों ने भाग लिया। खास बात यह रही कि इस मोर्चे में हजारों महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
बता दें कि सम्राट अशोक द्वारा निर्मित महाबोधि महाविहार भारत और विश्व के बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक बहुत ही पवित्र बौद्ध स्थल है। बौद्ध मंदिर अधिनियम 1949 के अनुसार प्रबंधन समिति में 9 सदस्य हैं। जिसमें 4 हिन्दू, 4 बौद्ध तथा अध्यक्ष के रूप में एक हिन्दू जिला कलेक्टर हैं। इस पवित्र स्थल का प्रबंधन बौद्ध भिक्षु को सौंपने की मांग को लेकर देशव्यापी आंदोलन चल रहा है। इस आंदोलन का समर्थन करने के लिए चेंबूर के वाशिनाका में हजारों बौद्ध बंधुओं ने इस मोर्चे में भाग लिया। मोर्चे का आयोजन सकल बौद्ध समाज वाशिनाका इस संस्था द्वारा किया गया था।
मोर्चे में वाशीनाका क्षेत्र के सभी सामाजिक संगठनों, धार्मिक संगठनों और राजनीतिक संगठनों ने हिस्सा लिया इसके अलावा इसका समर्थन करने वालों में राष्ट्रवादी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के पक्षाध्यक्ष नामदेव साबले, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) महाराष्ट्र के सचिव साहेबराव ससाने, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सचिव एडवोकेट नीलेश भोसले, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुंबई महासचिव मधुकर शिरसाट, आरपीआई (आर) महाराष्ट्र प्रदेश के अध्यक्ष मुरलीधर गायकवाड़, महाराष्ट्र के प्रवक्ता विजय क्षीरसागर, आरपीआई (ए) के मुंबई के सचिव रमेश घोक्षे शामिल हुए। मोर्चे को सफल बनाने में साहेबराव ससाने, शामराव ससाने ,अशोक खंडागले, बालासाहेब पवार, सोपान खंडागले आदि ने कड़ी मेहनत की।
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