March 14, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

“सत्ता है धृतराष्ट्र”


राम रहीम फिर बाँटते,
खैराती आशीष।
मंन्त्री जी है ले रहे,
झुका झुका कर शीश।।1।।

संत बलात्कारी रहा,
कोर्ट चले तारीख।
जनता सब कुछ भूलकर,
फिरे निपोरे खींस।।2।।

भारत कैसा देश है,
कैसे कैसे लोग।
मुफ्त मुफ्त खा खा करें,
नेता सत्ता भोग।।3।।

सेना हरदम दे रही,
हर जवाब मुहतोड़।
इमानदार सब है बने,
प्रेस सत्ता गठजोड़।।4।।

विजय मिली सत्ता मिली,
इमानदार है लोग।
फार्चूनर ले कर रहे,
अय्यासी व हर भोग।।5।।

शिक्षा माफिया चूसते,
है गरीब का खून।
अस्पताल शवदाह गृह,
लेते कर कानून।।6।।

तेल कान में डालकर,
सत्ता है धृतराष्ट्र।
प्रतिदिन बिकता जा रहा,
मेरा भारत राष्ट्र।।9।।

       गोपाल त्रिपाठी 
    (पूर्व पुलिस अधिकारी)
      शाँतिपुरम ,प्रयागराज
       7905158257