Sunday, December 21, 2025
Homeकवितात्योहार परम पुण्य पुरुषार्थ

त्योहार परम पुण्य पुरुषार्थ

त्योहार परम पुण्य पुरुषार्थ यह,
दीपावली शुभ दिव्यार्थ मय यह,
द्वार द्वार दीप ज्योति जलती रहे,
तिमिर नाशक द्वंद्व युद्ध चलता रहे।

जीत जायेगी प्रकाश पुंज लालिमा,
होगी पराजित ये घनघोर कालिमा,
दीप ज्योति पर्व पावन परम तीर्थ है,
सद्यः सनातन है, सदा चरितार्थ है।

शुभाशीष मधुर हम सबको मिलें,
विनती-आरती हमारी स्वीकार हो,
जगमगाती ज्योति झिलमिल जलें,
अविरल शुभ कामना स्वीकार हो।

आस्था की सादर आलोक भावना,
प्रकाश पर्व की जगमग दीप्ति फैलना,
आनंद अतिरेक मय हों आशान्वित।
जन जन पुलकायमान हों हर्षित नित।

दीवाली सजीं जनहित प्रीत प्रतीति में,
सर्वे भवंतु सुख़िन:, सबके अनुराग में,
मधुमय गीतमाला गुथे, तिमिर भी छटे,
अहंकार लोभ मोह, काम व ईर्ष्या हटें।

तम तमस मिटे शुचिता-ज्योति से,
दण्डित खण्डित सकल विकार हों,
आदित्य परहित, परसुख के लिये,
हृदय कण-कण में गूँजे सुविचार हों।

कर्नल आदि शंकर मिश्र, ‘आदित्य’

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments