अजमेर/राजस्थान(राष्ट्र की परम्परा)
सनातन धर्म में नवरात्रि का यह पर्व विशेष स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। अश्विन माह में पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।
नवरात्रि में रोग बाधाओं से मुक्त होने के लिए शास्त्रों में कुछ उपाय बताए गए हैं।अगर आप नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के इन मंत्रों का जप करते हैं निश्चित रूप से आपको सभी प्रकार की रोग बाधाओं से मुक्ति मिलेगी ।
आयुर्वेद की मान्यता है कि जप, हवन, देवताओं का पूजन, ये भी रोगों की दवाएं हैं, ऐसे में रोगों के नाश के लिए पूजा और देवताओं के मंत्र की उपयोगिता बताई गई है। हमारे शास्त्रों में हर समस्या का समाधान भी बताया गया है, अगर किसी समाधान का हम उचित तरीके से नियम से पालन करके करते हैं वह जरूर सफल होता है। दुर्गा सप्तशती में सभी प्रकार की समस्याओं से निपटने के लिए अनेक प्रकार के मंत्रों का विवरण है।
मंत्र का जप करने से पहले स्नान कर लें। भगवती की पूजा कर ले और एक संकल्प ले, संकल्प उतना ही करें जितना आप करने में समर्थ हो बीच में जप छोड़ना अखंडितमाना गया है।
इन मंत्रों का करें जाप –
“शरणागतदीनार्तपरित्राणपराणये।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोस्तु ते।।”
शरण में आये हुए दिनों एवं पीड़ितों की रक्षा में संलग्न रहने वाली तथा सबकी पीड़ा दूर करने वाली नारायणी देवि! तुम्हें नमस्कार है।
नजरदोष, मारण, उच्चाटन, वशीकरण मुक्ति हेतु मंत्र –
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
महामारी नाशक मंत्र-
“जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ॥”
नसों की बिमारी हटाने के लिए –
“ॐ ऊं उमाभ्याम् नम:।।”
नाक की बिमारियों हेतु-
“ॐ यं यमघण्टाभ्यां नमः।।”
कान की बिमारियों हेतु-
ॐ दुं द्वां द्वारवासिनीभ्यां नमः।।
आरोग्य कारक मंत्र-
“ॐ हूं सः॥”
दांतों के रोगों पर इलाज-
“ॐ कौं कौमारीभ्याम् नमः॥”
बुखार हटाने हेतु-
“ॐ मुं मुकटेश्वरीभ्यां नमः॥”
रक्तविकार हेतु
“ॐ पां पार्वतीभ्यां नमः॥”
अल्सर के निवारण हेतु-
“ॐ कां कालरात्रिभ्याम् नमः॥”
वायु विकार दूर करने के लिए मंत्र-
“ॐ वं वज्रहस्ताभ्याम् नमः॥”
गुप्त बिमारियों के लिए मंत्र-
“ॐ गुंह्यमेश्वरीभ्याम् नमः॥”
हृदय विकार हटाने हेतु-.
“ॐ लं ललितादेवीभ्याम् नमः॥”
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