
इंदौर/मध्यप्रदेश(राष्ट्र की परम्परा)
दैहिक रुप में मौजूदगी ,
टिका रहता है मात्र कुछ ही सांसों पर
इतने विराट शरीर का अस्तित्व ।
एक स्वप्न सा प्रतीत होता है
मृत्यु के पश्चात, अस्तित्व ।
जीवन पर्यंत करता रहता है संघर्ष ,
अपने अस्तित्व को पुख्ता
करने के लिए मनुष्य ।
कितने जामें पहनता है
अस्तित्व के संघर्ष के लिए ।
परंतु अंत में , मृत्यु ही अटल सत्य है
यह सभी जानते हैं ।
लेकिन जीवटता ही प्रेरित करती है
अस्तित्व के संघर्ष के लिए ।
लेखिका-मनीषा सेंगर
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