उतरौला बलरामपुर(राष्ट्र की परम्परा) तहसील क्षेत्र में गुरुवार को ईद का त्योहार पारंपरिक ढंग से बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया। गांव से लेकर शहर के ईदगाहों और मस्जिदों में नमाजियों की भारी भीड़ रही। लाखों अकीदतमंदों ने नमाज अदा कर अल्लाह से मुल्क, कौम व मिल्लत की दुआ मांगी। इसके बाद एक-दूसरे से गले मिले और मुबारकबाद दिया। ईद पर बच्चों से लेकर बड़ों तक के चेहरे पर खुशियां छाई रहीं।
ईद त्योहार को लेकर ईदगाहों, मस्जिदों पर चाक चौबंद व्यवस्था रही। सफाई से जहां सड़कें चमचमा रहीं थी। वहीं सुरक्षा के मद्देनजर मस्जिदों व ईदगाहों पर पुलिस मुस्तैद रही। सुबह बच्चों के साथ बड़ों ने नहा कर नए कपड़े पहने, इत्र लगाया और सिर पर टोपी सजाई। साथ में नन्हें मुन्नों को लिया और कदम ईदगाह व मस्जिदों की ओर चल पड़े। मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ एक कतार में जब ईद की नमाज पढ़ना शुरू किए तो अमीरी-गरीबी और असमानता की खाई पट गई। अल्लाह की इबादत में हर कोई लीन रहा। ईद की नमाज अदा करने के बाद लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। ईदगाहों से निकलकर लोग दरगाह व अपने पूर्वजों के कब्र पर पहुंचे। फातिहा पढ़कर इसाले सवाब किया।
इसके कुछ देर के बाद घरों पर लोगों के आने और सेंवइ व अन्य लजीज पकवान खिलाकर मुबारकबाद देने का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। गैड़ास बुजुर्ग ब्लाक के दुभरा ग्राम सभा के प्रधान राजेश गुप्ता ने गंगा जमुनी का मिशाल पेश करते हुए गांव के ईदगाह पर नमाजियों के लिए मिठाई, बिरयानी कोल्ड ड्रिंक, व ठंडे पानी का विशेष प्रबंध किया गया था। नमाज खत्म होने के बाद प्रधान राजेश गुप्ता ने नमाजियों को अपने हाथों से मिठाई खिलाया पानी व कोल्ड ड्रिंक पिलाकर ईद की बधाई दी। लंच बॉक्स में पैक बिरियानी सभी लोगों में बांटा।
लगातार 30 दिनों तक रोजा रखने और अल्लाह की इबादत करने के बाद जुमेरात (गुरूवार) को जब ईद आई तो चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई। सारे गम हवा हो गए। होठों पर मुस्कराहट थीं तो जबाँ पर मुहब्बत की बातें..! एक-दूसरे से गले मिले तो बरसों पुराने गिले शिकवे दूर हो गए। फिजा में सिर्फ ईद मुबारक.. ईद मुबारक की गूँज थीं। ईद हो और सेवईयों का जिक्र न हो, यह मुमकिन नहीं है। सो, दस्तरखान पर नए-पुराने दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी सभी मौजूद थे। आपसी सौहार्द को बढ़ाना था, इसलिए क्या हिन्दू, क्या ईसाई और क्या मुसलमान सभी ने एक साथ बैठकर लजीज पकवानों का लुत्फ उठाया। मुस्लिम इलाकों में जश्न जैसा माहौल रहा।
सुबह-सुबह हर तरफ नए कपड़ों, इत्र की खुशबुओं से लवरेज लोग नमाज के लिए ईदगाह की ओर बढ़ रहे थे। 8 बजे तक ईदगाह के चारों ओर के रास्ते नमाजियों से भर गए थे। जिसको जहाँ जगह मिली, मुसल्ला बिछा लिया और नमाज अदा किया।
किसी की जिस्म पर पठानी सूट था तो किसी के बदन पर लखनवी चिकन कुर्ता। शेरवानी पहने लोग भी नजर आए। टोपियाँ भी एक दूसरे से बढ़कर एक थीं। युवा बेकरारी के साथ एक-दूसरे से गले मिल रहे थे, तो बुजुर्गों ने बच्चों को खुश रहने की दुआएं दी। उनके सिरों पर हाथ फेरा। जिन लोगों के बीच लम्बे समय से बातचीत नहीं थी,उनमें एक दूसरे के प्रति प्रेम दिखा इससे ईद की खुशी और बढ़ गई।
दादा व अब्बू के कन्धों पर ईदगाह पहुँचे बच्चे
ईद का मौका था, इसलिए बच्चों की हर ख्वाहिश पूरी की गई। गुरूवार को ईद की नमाज के लिए लोग खुद तो पहुंचे ही, वे छोटे-छोटे बच्चों को लेकर भी आए। कुछ बच्चे तो इतने छोटे थे कि वे दादा व अब्बा के कंधों पर थे। रंग-बिरंगे कपड़ों में लिपटे बच्चों ने जब गले लगाकर ईद की मुबारकबाद दी तो पूरा माहौल खुशनुमा हो गया।
सुरक्षा के रहे कड़े इंतजाम
ईद-उल- फितर की नमाज के मद्देनजर क्षेत्र के सभी ईदगाहों व मस्जिदों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। ईदगाहों व मस्जिदों के आसपास पर्याप्त मात्रा में फोर्स की तैनाती थी। इसके साथ ही यातायात व्यवस्था को लेकर पुलिसकर्मी लगाए गए थे। इसके अलावा कहीं कोई कमी न रह जाए, इसकी वीडियो रिकॉर्डिग भी कराई गई। सिविल ड्रेस में भी कुछ पुलिस जवानों को यहाँ तैनात किया गया था। सुरक्षा व्यवस्था के बीच सभी जगहों पर सकुशल नमाज संपन्न कराई गई।
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