
हे मातु दया कर दे, वर दे,
तन स्वस्थ सुखी रखिये रखिये,
रोटी कपड़ा रहने को घर,
भूषित वैभव रखिये रखिये।
हे मातु…
जीवन साथी का प्रेम मिला,
संतानों से आदर सद्भाव मिला,
एहसान नहीं कोई ऋण का,
अपनी कृषि अपना व्यापार भला।
हे मातु..
अनुराग पूर्ण जीवन मेरा,
दुश्मन को भी स्वजन बना पाऊँ,
भाई बहन सखा पड़ोसी
सब जन का हित मैं कर पाऊँ।
हे मातु..
पारबृह्म के परम ज्ञान से
ओत प्रोत प्रवीण मैं बन जाऊँ,
सत्संगी संतोषी बनकर,
इस समाज को गौरव दिलवा पाऊँ।
हे मातु..
हे देवी! तुम अंतर्यामी हो,
माता सबको सुख शान्ति दीजै,
दुःखों से दूर रहे काया,
सत् सेवा धर्म क्षमा करने दीजै।
हे मातु..
दान दया व क्षमा की प्रवृति,
इस जीवन में मैं अपनाऊँ,
आदित्य दया कर दे, वर दे,
यह तन मन निर्मल रख पाऊँ।
हे मातु दया कर दे, वर दे…

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कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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