
आजमगढ़ (राष्ट्र की परम्परा )
हिंदी, उर्दू साहित्य मंच द्वारा वरिष्ठ कवि, श्रमिक नेता प्रभु नारायण पाण्डेय प्रेमी को उनके निवास घोरठ पहुंचकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। सर्वप्रथम साहित्य मंच के अध्यक्ष शायर ताज आजमी ने वरिष्ठ कवि प्रेमी को बुके एवं मंच के संरक्षक प्रवक्ता महेंद्र मृदुल ने अंगवस्त्रम, कोषाध्यक्ष रोहित राही ने सम्मान पत्र एवं मंच के मुख्य संरक्षक संजय पाण्डेय व महासचिव जय हिंद सिंह हिंद ने माल्यार्पण कर सम्मानित किया, तत्पश्चात शायर ताज आजमी ने अपनी रचना पढ़ी -जख्म खाते रहे मुस्कुराते रहे दोस्ती दोस्तों से निभाते रहे। उद्योग विद्यालय में हिंदी के प्रवक्ता साहित्यकार मृदुल ने अपनी रचना, वो परवाना ही क्या जो समा से डर जाए।
चाहते इस कदर हो की हद से गुजर जाए।
जिंदगी और मौत में फासला बिल्कुल नहीं।
हौसला वो है जो मौत को भी पार कर जाए। सुना कर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। जय हिंद सिंह हिंद ने अपनी रचना पढ़ी, बात मन की सुनाने से क्या फायदा, हाल अपना बताने से क्या फायदा, देख कर जो तुम्हें अपना मुंह फेर ले,उससे दिल को लगाने से क्या फायदा। रोहित राही बयासी ने अपनी रचना पढ़ी। जितना निर्मल मन है, जिनका इतना सुंदर लिख पाया, तब जा के वो कवि रूप में इस दुनिया में दीख पाया। साहित्यकार पत्रकार संजय पाण्डेय ने बेरोजगारी पर अपनी रचना पढ़ी –आज हम भूख और बेरोजगारी से बेकार बैठे हैं,उधर बच्चे जन्म लेने के लिए तैयार बैठे हैं। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि श्रमिक नेता प्रेमी ने कहा कि साहित्य मंच ने जो हमारा सम्मान किया है, उसके प्रति मै आभार प्रकट करते हुए अपनी रचना पढ़ रहा हूँ, अपने जब अपने हो न सके,संसार हमारा क्या होगा, सुना कर माहौल को गंभीर कर दिया। अंत में साहित्य मंच के मुख्य संरक्षक साहित्यकार पत्रकार संजय कुमार पाण्डेय ने आए हुए कवियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि साहित्य मंच द्वारा बराबर साहित्यकारों कवियों को सम्मानित करने का काम करता है।
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