गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। यूजीसी मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के योग में पहले अन्तर्वैषयिक रिफ्रेशर कोर्स के समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. राजीव चौधरी ने कहा कि रोगी शरीर से धर्म की साधना कदापि संभव नहीं है। यदि हमें धर्म की साधना करनी है। तो हमें अपने शरीर को निरोगी रखना होगा। योग हमारे शरीर को निरोगी रखने में सहायता प्रदान करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि योग हमें धर्म की साधना में सक्षम बनाता है। उन्होंने यहां धर्म का तात्पर्य हमें हमारे कर्तव्य तथा जिम्मेदारियां तथा अपने दैनिक जीवन के कार्यों के निर्वहन से है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मुख्य रूप से दो बातों पर निर्भर है। प्रथम हॉलिस्टिक डेवलपमेंट जिसमें मानसिक शारीरिक सामाजिक इमोशनल स्वास्थ की बात है। द्वितीय समन्वित विकास जिसमें आत्मा और शरीर के संयुक्त विकास की बात कही गई है। योग पर रिफ्रेशर कोर्स इन दोनों निहितार्थों को पूर्णता प्रदान करता है। समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि कोरोना काल के बाद प्रथम ऑफलाइन रिफ्रेशर कोर्स करना अपने आप में एक चैलेंज था। जिसे इस केंद्र ने भली भांति पूर्ण किया। यहां देश के कई हिस्सों से और राज्य के कई हिस्सों से सहभागी शिक्षक आए तथा साथ ही देश के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से शिक्षक ने यहां पर अपने व्याख्यान दिए। जिससे निश्चित रूप से सहभागियों को लाभ मिला है और चुकी यह सभी सहभागी शिक्षक है तो यह अपने-अपने क्षेत्र में जाकर के अपनी इस ज्ञान से वहां की विद्यार्थियों को निश्चित रूप से अभिसंचित करेंगे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अपने उद्देश्यों में सफलता प्राप्त कर सकेगा।
कोर्स के समन्वयक प्रोफेसर विजय चाहल ने पूरे कोर्स के संक्षिप्त रिपोर्ट को प्रस्तुत करते हुए कहा कि कोर्स में कुल 48 व्याख्यान हुए। जिसमें 9 प्रैक्टिकल भी शामिल थे देश के 14 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों तथा 5 प्रतिष्ठित संस्थाओं से विद्वान इस कोर्स में अपने व्याख्यान देने के लिए आए थे। जिन्होंने योग के विभिन्न आयामों पर अपने व्याख्यान दिया और अपने ज्ञान से सहभागियों को अभिसिंचित किया।
समापन सत्र का संचालनडॉक्टर सुधीर शुक्ला ने किया तथा आभार ज्ञापन डॉक्टर पवन कुमार ने किया।
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