October 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

हम रिटायर्ड हैं, टायर्ड नहीं

भाई देखो “लातों के भूत,
बातों से नही मानते”,
यह एक कहावत सुनते
आये हैं हम बचपन से।

द्वापर में जब काम न चलता था,
तीरों और कमानों से,
विजय वहाँ होती थी नटवर की,
उनकी मुरली के तानों से।

शेर भी भीगी बिल्ली बन जाये,
सुन सुन बड़ी हँसी आये रे,
“जहाँ चाह हो वहीं राह हो”,
ऐसा बड़े-बुजुर्ग भी कहते थे।

हम रिटायर्ड हैं पर टायर्ड नहीं,
इसलिये सदा सक्रिय रहते,
कलम चले काग़ज़ पर सरसर,
ना ऐसी ताक़त तलवारों में।

बंदूक़ नहीं फ़ायर करतीं,
जब तक गोली ना उसमें हों,
नही बन सके कोई कवी,
उसकी कलम में जो ना दम हो।

आदित्य ने ऐसा नही कहा,
यह कहा अनुभवी लोगों ने,
बाल धूप में न सफ़ेद किया है,
यह कहा उन्ही के अनुभव ने।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ ‎