हार्ट अटैक समस्या क़ा संभावित समाधान- जीवनशैली में सख़्त आचार संहिता अपनाकर असामाइक मौतों को रोकने में सहभागी बनें
गोंदिया- वैश्विक स्तरपर दुनियाँ तेजी से बदल रही है जिसके कारण बदलती मानवीय जीवनशैली का सबसे गंभीर प्रभाव मानव हृदय पर पड़ा है। आज हृदय रोग केवल वृद्धावस्था तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि यह युवाओं में भी बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। वैश्विक स्तर पर हर साल लाखों लोग दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं।पिछले दो-तीन वर्षों से कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ते हुए देखे गए हैं ।पचास वर्ष से कम उम्र के 50 फ़ीसदी और 40 वर्ष से कम उम्र के 25 फीसदी लोगों में हार्ट अटैक का जोखिम देखा गया है कुछ वर्षों पूर्व पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट अटैक के मामले कम थे।एक नए शोध में यह ह्रदय रोग अब बराबर देखे गए।ह्रदय रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र मानता हूं कि कुछ वर्षों पूर्व वृद्धावस्था में होने वाली इस बीमारी ने युवकों को भी शिकार बना लिया है।वर्तमान में हार्ट अटैक युवाओं में होने के अनेकों -अनेक कारणों का समावेश होता रहा है!इसमें आधुनिक खान- पान और जीवन शैली महत्वपूर्ण है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनियाँ के कुल ह्रदय रोगियों में से 60 प्रतिशत मरीज अकेले भारत में ही होने की संभावना व्यक्ति की गई है।इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है।वर्ष 2025 का विषय है “एक धड़कन न चूकें” यह संदेश केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि एक सामूहिक चेतावनी है कि यदि अब भी लोग, समाज और सरकारें सक्रिय नहीं हुए तो हृदय रोग एक वैश्विक महामारी का रूप ले लेगा। चूँकिहार्ट अटैक समस्या क़ा संभावित समाधान- जीवनशैली में सख़्त आचार संहिता अपनाकर असामाइक मौतों को रोकने में सहभागी बनें इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,विश्व हृदय दिवस 2025- हृदय स्वास्थ्य एक वैश्विक समस्या-“सावधानी बरतें जीवन बचाएं”-“एक धड़कन न चूकें”
साथियों बात अगर हम हार्ट अटैक क्या है और कैसे होता है? इसको समझने की करें तो, हार्टअटैक, इसे चिकित्सकीय भाषा में मायोकार्डियलइंफार्क्शन कहा जाता है, तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों तक रक्त का प्रवाह अचानक बाधित हो जाता है। यह स्थिति प्रायः तब उत्पन्न होती है जब कोरोनरी आर्टरी (हृदय की रक्तवाहिका) में प्लाक (कोलेस्ट्रॉल, वसा और अन्य तत्वों का जमाव) जमा होकर ब्लॉकेज पैदा कर देता है। इस ब्लॉकेज से हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती और परिणामस्वरूप हृदय की कोशिकाएं मरने लगती हैं। यदि समय पर इलाज न मिले तो यह व्यक्ति की जान भी ले सकता है।इसके लक्षण कई बार अचानक और गंभीर हो सकते हैं जैसे- सीने में तेज दर्द या दबाव, पसीना आना, सांस फूलना, जबड़े या बांह में दर्द, मतली या बेहोशी। वहीं, कुछ मामलों में हल्के संकेत भी मिलते हैं जिन्हें लोग सामान्य थकान या गैस समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, और यही लापरवाही जीवन के लिए घातक सिद्ध होती है।
साथियों बात अगर हम जीवनशैली और हार्ट अटैक का संबंध को समझने की करें तो,आधुनिक युग की भागदौड़ भरी जीवनशैली हृदय के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। अधिकतर मामलों में पाया गया है कि हृदय रोग सीधे-सीधे व्यक्ति की आदतों और दिनचर्या से जुड़े होते हैं।(1)अस्वास्थ्यकर आहार- जंक फूड, तैलीय और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, उच्च नमक और चीनी का सेवन हृदय पर भार डालते हैं। (2) शारीरिक निष्क्रियता- लंबे समय तक बैठे रहने और व्यायाम न करने से मोटापा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर बढ़ते हैं।(3)धूम्रपान व शराब का सेवन-तंबाकू और अल्कोहल हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं।(4)तनाव और अनियमित नींद- मानसिक दबाव और नींद की कमी हार्मोनल असंतुलन पैदा कर हृदय रोग का खतरा बढ़ाते हैं।यानी, यदि व्यक्ति अपने जीवनशैली विकल्पों में बदलाव कर ले तो हृदय रोग से होने वाले 80 फ़ीसदी समयपूर्व मौतों को रोका जा सकता है।
साथियों बात अगर हम विश्व हृदय दिवस 29 सितंबर 2025 को एक वैश्विक बहुभाषी अभियान को समझने की करें तो,हर वर्ष 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। यह केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं बल्कि एक वैश्विक अभियान है जिसमें विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और देशों को एक मंच पर लाकर हृदय स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाता है।(1) स्कूल,कॉलेज औरविश्वविद्यालयों में हेल्थ कैम्प और सेमिनार आयोजित होते हैं।(2)अस्पताल और स्वास्थ्य संगठन मुफ्त जांच शिविर और परामर्श सेवाएं प्रदान करते हैं।(3) डिजिटल माध्यमों पर सोशल मीडिया कैंपेन चलाए जाते हैं।(4) सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संगठन मिलकर नीतिगत हस्तक्षेप की दिशा में कदम उठाते हैं।इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को याद दिलाना है कि उनका हृदय ही उनकी जीवन शक्ति है और उसकी देखभाल सबसे पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए।2025 की थीम-“एक धड़कन न चूकें” इसका गहरा अर्थ है। यह लोगों को यह समझाने का प्रयास है, (1)हृदय स्वास्थ्य में लापरवाही की कोई जगह नहीं है (2) समय- समय पर स्वास्थ्य जांच कराना जरूरी है।(3)चेतावनी संकेतों (जैसे सांस फूलना, थकान, सीने में दर्द) को कभी नजरअंदाज न करें।(5)स्वस्थ आदतों को निरंतर बनाए रखना चाहिए, चाहे व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ क्यों न दिखे।(6)समय पर चिकित्सा सहायता लेना ही जीवन बचाने का सबसे प्रभावी उपाय है।(7)चिप्स, फ्रेंच फ्राइज ,कैंडी, आइसक्रीम, चॉकलेट, कोक, और सोडा जैसी हाई कार्बोहाइडेड, शुगर ओर पेंटी, फैटी एसिड वाली चीजों को कंफर्ट फूड में रखा गया है। इनसे हार्ट अटैक का रोग खतरा 33% बढ़ जाता है। यदि प्रतिदिन लगभग 800/900 ग्राम फल और सब्जियां खाते हैं ,तो उनमें हार्ट अटैक का खतरा लगभग 30% कम होता है। हृदयाघात की जोखिम बढ़ने के 6 कारणों में से 4 कारण तो जीवनशैली से जुड़े है,जिन्हें नियन्त्रित कर ह्रदय घात के खतरे को काफी कम करके दिल को मजबूत किया जा सकता। उपरोक्त थीम वैश्विक स्तरपर एक चेतावनी है कि हम सभी को अपने और अपने प्रियजनों के हृदय की जिम्मेदारी लेनी होगी।
साथियों बात अगर हम इस जागरण अभियान में सरकारों और समाज की भूमिका को समझने की करें तो,(1)हृदय स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं है। इसमेंसरकारों और समाजों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है (2) सरकारें किफायती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करें।(3)ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में हृदय रोग की जांच और इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।(4)खाद्य उद्योगों को नियमन में लाकर अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर नियंत्रण किया जाए।(5)स्कूलों में बच्चों को बचपन से ही स्वास्थ्य शिक्षा दी जाए।(6)कार्यस्थलों पर तनाव प्रबंधन और फिटनेस कार्यक्रम शुरू किए जाएं।(7) यदि यह प्रयास सामूहिक रूप से किए जाएं तो आने वाले वर्षों में हृदय रोग के मामलों में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि,विश्व हृदय दिवस 2025 केवल एक तारीख नहीं है,यह दुनियाँ के हर नागरिक के लिए एक याद दिलाने वाला अवसर है कि हृदय की धड़कन अमूल्य है।“एक धड़कन न चूकें” केवल एक नारा नहीं बल्कि एक जीवन मंत्र है। हृदय स्वास्थ्य के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी, सामूहिक प्रयास और सरकारी नीतियां तीनों जरूरी हैं। यदि लोग आज ही स्वस्थ जीवनशैली अपनाना शुरू करें, समय पर जांच कराएं और चेतावनी संकेतों को गंभीरता से लें तो असामयिक मौतों को रोका जा सकता है।हृदय एक बार रुक जाए तो जीवन ठहर जाता है, इसलिए अब समय है कि दुनिया भर की सरकारें, समाज और व्यक्ति मिलकर यह संकल्प लें कि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और मजबूत हृदय की धड़कन उपहार में देंगे।