
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) दहेज उत्पीड़न के मामलों में अक्सर कानून के दुरुपयोग की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अब भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (दहेज प्रताड़ना) के तहत मामला दर्ज होते ही तत्काल गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पहले मामले की निष्पक्ष जांच और सुलह की प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि निर्दोष लोगों को बिना वजह जेल न भेजा जाए।
🔹 क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
- सीधी गिरफ्तारी पर रोक:
अब 498A के तहत एफआईआर दर्ज होते ही पुलिस किसी की भी तत्काल गिरफ्तारी नहीं कर सकेगी। कम से कम दो महीने तक गिरफ्तारी नहीं होगी। - परिवार कल्याण समिति का गठन:
मामला पहले परिवार कल्याण समिति (Family Welfare Committee) के पास भेजा जाएगा। यह समिति दोनों पक्षों की सुनवाई करेगी और समझौते की संभावनाओं को तलाशेगी। - समिति की रिपोर्ट होगी निर्णायक:
समिति द्वारा 60 दिनों के भीतर रिपोर्ट संबंधित थाने या मजिस्ट्रेट को सौंपनी होगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी – चाहे वह गिरफ्तारी हो या केस की बंदी। - इलाहाबाद हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों को मंजूरी:
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों को पूरी तरह स्वीकार करते हुए लागू करने का आदेश दिया है। यह फैसला पूरे देश में लागू होगा।
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