पंखा, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)।
जनपद देवरिया के स्वामी देवानन्द इंटरमीडिएट कॉलेज, मठ लार में गुरुवार को भीषण गर्मी और उमस के कारण कक्षा 11वीं की एक छात्रा बेहोश होकर गिर गई। छात्रा को स्कूल के अन्य विद्यार्थियों ने मिलकर उसके घर पहुंचाया। इस घटना के बाद स्कूल में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी को लेकर छात्रों का आक्रोश फूट पड़ा।
बेहोश हुई छात्रा की एक सहपाठी ने जब पंखा न होने की शिकायत लेकर प्रधानाचार्य शत्रुघ्न तिवारी से बात की, तो छात्रा के अनुसार प्रधानाचार्य ने उसे गाली देकर भगा दिया। इसके विरोध में विद्यार्थियों ने कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया और पढ़ाई से इनकार कर दिया। स्थिति को गंभीर होता देख एक छात्रा ने 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और छात्रों को शांत कराया।
छात्रों ने बताया कि विद्यालय की किसी भी कक्षा में पंखा नहीं है, जिससे कक्षाओं में घुटन और गर्मी के कारण पढ़ाई कर पाना कठिन हो गया है। छात्राओं ने यह भी बताया कि स्कूल में शौचालय (यूरिनल) की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है, जिससे छात्राएं मजबूरी में छत पर और छात्र स्कूल परिसर के बाहर जाने को विवश हैं।
विद्यालय के शिक्षकों ने जानकारी दी कि विद्यालय में लगभग 1200 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, और हर वर्ष एडमिशन के समय छात्रों से ₹20 पंखा शुल्क के तौर पर वसूला जाता है, फिर भी पंखों की व्यवस्था नहीं की गई है। इसके अलावा 9वीं और 10वीं के छात्रों से ₹120 तथा 11वीं व 12वीं के छात्रों से ₹180 ‘विकास शुल्क’ लिया जाता है। बावजूद इसके विद्यालय की स्थिति दयनीय बनी हुई है।
शिक्षकों और छात्रों के अनुसार, बॉयज़ फंड और विकास मद के तहत प्रति वर्ष 4 से 5 लाख रुपये की आमदनी होती है, लेकिन स्कूल में न रंगाई-पुताई, न मरम्मत और न ही मूलभूत सुविधाओं में कोई सुधार दिखाई देता है।
इस संबंध में जब प्रधानाचार्य शत्रुघ्न तिवारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि,
“यह सरकारी व्यवस्था है, मेरे हाथ में कुछ नहीं है। जो पढ़ना चाहता है पढ़े, नहीं तो कहीं और जाए। मैंने किसी को बुलाया नहीं है।”
जब उनसे विकास फंड की जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बताया,
“विकास फंड का पैसा विद्यालय प्रबंधक के पास जाता है, और वही इसके लिए जिम्मेदार हैं। जब भी मैं उनसे कहता हूं तो जवाब मिलता है कि अभी और काम बाकी हैं, बाद में देखा जाएगा।”
यह मामला शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त लापरवाही और जवाबदेही के अभाव को उजागर करता है। बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य दोनों पर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी एक-दूसरे पर दोष मढ़ने में व्यस्त हैं। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कार्रवाई करता है।
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