Tuesday, October 14, 2025
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नवरात्रि का सातवाँ दिन: माँ कालरात्रि की आराधना, विनाश की देवी का दिव्य महत्व

शारदीय नवरात्रि का सातवाँ दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की उपासना के लिए समर्पित होता है। माँ का यह स्वरूप अत्यंत उग्र, तेजस्वी और भयानक दिखने वाला है, किंतु भक्तों के लिए यह असीम करुणा और रक्षा का प्रतीक है। मान्यता है कि कालरात्रि के पूजन से साधक को सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं, भूत-प्रेत बाधाओं तथा शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। इसी कारण इन्हें “शुभं करौती कालरात्रि” भी कहा जाता है।

देवी का स्वरूप

माँ कालरात्रि का वर्ण काला है, बाल खुले हुए हैं और गले में माला है। इनके तीन नेत्र हैं, जिनसे बिजली के समान प्रकाश निकलता है। वाम हाथ में लौह वज्र और खड्ग है जबकि दाहिने हाथ से यह भक्तों को वरदान और अभय देती हैं। माँ की सवारी गधा है, जो सरलता और साहस का प्रतीक है।

पूजा विधि-विधान

नवरात्रि के सातवें दिन प्रातः स्नान कर घर के पूजा स्थान में माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर पूजन आरंभ किया जाता है।

  1. कलश पूजन: विधिपूर्वक कलश की पूजा कर सभी देवताओं का आवाहन किया जाता है।
  2. मंत्र जप: “ॐ कालरात्र्यै नमः” मंत्र का जाप करने से विशेष फल मिलता है।
  3. धूप-दीप अर्पण: लाल फूल, गंध, कपूर और गुड़ का भोग विशेष प्रिय माना गया है।
  4. आरती और स्तुति: दुर्गा सप्तशती के सप्तम अध्याय का पाठ तथा देवी कालरात्रि की आरती कर भक्त पुण्य लाभ पाते हैं।

यह दिन साधना और तांत्रिक क्रियाओं के लिए भी अत्यंत प्रभावकारी माना जाता है। भक्त इस दिन माता से निडरता, साहस और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।

प्रसिद्ध मंदिर

भारत में माँ कालरात्रि के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनमें प्रमुख हैं:विंध्याचल मंदिर (मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश) – यहाँ माँ दुर्गा के सभी स्वरूपों की विशेष पूजा होती है। सप्तमी के दिन हजारों श्रद्धालु कालरात्रि दर्शन के लिए पहुँचते हैं।

महाकाली मंदिर (उज्जैन, मध्य प्रदेश) – महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के समीप स्थित इस मंदिर में सप्तमी को विशेष अनुष्ठान होता है।

कटरा (जम्मू-कश्मीर) के वैष्णो देवी धाम में भी सप्तमी के दिन कालरात्रि के स्वरूप का पूजन कर भक्तगण आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

कामाख्या मंदिर (गुवाहाटी, असम) – तांत्रिक साधना के लिए विश्वप्रसिद्ध यह मंदिर सप्तमी के अवसर पर विशेष पूजा का केंद्र रहता है।

धार्मिक महत्व

माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व यह है कि यह अंधकार, भय और शत्रुओं के नाश की अधिष्ठात्री देवी हैं। इन्हें रात्रि और मृत्यु का स्वरूप भी कहा गया है, जो जीवन में नकारात्मकता का नाश कर नई ऊर्जा और उत्साह प्रदान करती हैं। भक्तों का विश्वास है कि सप्तमी की आराधना से अचानक आने वाले संकट टल जाते हैं और साधक का मार्ग सभी बाधाओं से मुक्त हो जाता है।

नवरात्रि का सातवाँ दिन केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। माँ कालरात्रि का पूजन हमें यह संदेश देता है कि जीवन के अंधकारमय क्षणों में भी आस्था और साहस से सब संकटों का सामना किया जा सकता है।

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