Tuesday, October 28, 2025
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सुरक्षित और स्वच्छ दीपावली: खुशियों की रोशनी में जिम्मेदारी का उजाला

दीपावली — यह शब्द सुनते ही आँखों के सामने जगमग रोशनी, खुशियों की चमक, मिठाइयों की खुशबू और अपनों की मुस्कान तैर जाती है। दीपावली न सिर्फ रोशनी का पर्व है, बल्कि यह अच्छाई पर बुराई की विजय, प्रकाश पर अंधकार की जीत और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
परंतु इन खुशियों के बीच सुरक्षा, पर्यावरण और स्वच्छता की जिम्मेदारी को भूलना हमारे समाज और स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है। इस दीपावली पर आइए संकल्प लें —
“हम मनाएँगे सुरक्षित, स्वच्छ और पर्यावरण-हितैषी दीपावली, ताकि हमारी खुशियाँ किसी के लिए परेशानी न बनें।”
🪔 1. दीपावली का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
दीपावली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह आत्मा के अंधकार को मिटाकर भीतर के प्रकाश को जगाने का प्रतीक है।
यह वह दिन है जब भगवान श्रीराम ने चौदह वर्षों का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया, और तभी से यह पर्व “दीपावली” कहलाया।
इसके अलावा यह माता लक्ष्मी की पूजा का भी दिन है — जो धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी मानी जाती हैं।
लेकिन यह समृद्धि तभी सार्थक है जब उसके साथ सामाजिक संवेदनशीलता और पर्यावरण-जागरूकता जुड़ी हो।
🧹 2. दीपावली की शुरुआत स्वच्छता से
कहावत है — “जहाँ स्वच्छता, वहाँ लक्ष्मी का वास।”
दीपावली की तैयारियाँ घर की सफाई से ही शुरू होती हैं।
परंतु आज सफाई का मतलब केवल घर की दीवारें चमकाना नहीं, बल्कि अपने आस-पास के वातावरण को भी स्वच्छ रखना है।
🏠 सफाई के महत्वपूर्ण सुझाव:
पुराने, अनुपयोगी वस्त्र या सामान को दान करें। इससे जरूरतमंदों को सहायता मिलेगी और आपका घर भी हल्का महसूस करेगा।
रासायनिक क्लीनर की जगह प्राकृतिक विकल्पों का उपयोग करें — जैसे नींबू, सिरका, बेकिंग सोडा आदि।
कूड़े-कचरे को इधर-उधर न फेंकें। स्थानीय निकाय द्वारा निर्धारित स्थानों पर ही डालें।
दीपावली के बाद प्लास्टिक या पॉलिथीन में लिपटे फूल-मालाओं को नदी या नालों में न डालें।
🪷 3. पूजा-पाठ में रखें ये सावधानियाँ
दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का विशेष महत्व होता है। यह पूजा सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि कृतज्ञता और श्रद्धा का भाव है।
✨ सुरक्षित पूजा के उपाय:
घी या सरसों के तेल से बने दीपक का उपयोग करें, यह पर्यावरण के लिए बेहतर है।
अगरबत्ती या कपूर जलाते समय बच्चे या पालतू जानवरों को दूर रखें।
पूजा स्थल पर इलेक्ट्रिक लाइट और दीपक दोनों साथ न जलाएँ।
पूजा के बाद जलते दीपक unattended न छोड़ें।
🎇 4. पटाखे फोड़ने से पहले जानें ये जरूरी बातें
दीपावली की रात बच्चों के लिए सबसे खास होती है — चमचमाते पटाखे, रॉकेट, फुलझड़ियाँ और अनार का आनंद हर कोई लेना चाहता है।
लेकिन यह आनंद सुरक्षा नियमों के पालन से ही स्थायी बन सकता है।
⚠️ पटाखों से पहले ये ध्यान रखें:

1. कानूनी सीमा में रहें:


केवल ग्रीन क्रैकर्स (पर्यावरण-अनुकूल पटाखे) ही फोड़ें।
रात 8 बजे से 10 बजे तक ही पटाखे जलाने की अनुमति होती है (कई राज्यों में यही नियम लागू)।

2. सुरक्षित स्थान चुनें:


खुली जगह पर, बिजली की तारों, गैस सिलिंडर या सूखी घास से दूर पटाखे जलाएँ।

3. सुरक्षा उपकरण पहनें:


बच्चों को सूती कपड़े पहनाएँ, सिंथेटिक कपड़े नहीं।
आँखों पर सुरक्षात्मक चश्मा और हाथों में दस्ताने पहनना बेहतर है।

4. पहले सुरक्षा, फिर मनोरंजन:


जलते पटाखे के पास न झुकें।
असफल पटाखे को दोबारा जलाने का प्रयास न करें।
पास में पानी की बाल्टी या रेत अवश्य रखें।
🌱 5. पर्यावरण का ध्यान रखें — प्रकृति भी परिवार है
हर साल दीपावली के बाद वायु प्रदूषण कई गुना बढ़ जाता है। धुआँ, शोर और प्लास्टिक का कचरा हमारे बच्चों की साँसों और धरती के स्वास्थ्य पर भारी पड़ता है।
इस बार कोशिश करें कि खुशियाँ प्रकृति के साथ बाँटी जाएँ, उसके खिलाफ नहीं।
🍃 पर्यावरण बचाने के उपाय:
ग्रीन पटाखे ही जलाएँ या साउंड-फ्री फुलझड़ियों से त्योहार मनाएँ।
मिट्टी या गोबर के दीपक उपयोग में लाएँ, ये जैविक रूप से नष्ट हो जाते हैं।
बिजली की झालरों की जगह घी के दीपक या सोलर लाइट्स का प्रयोग करें।
पौधे लगाकर या किसी पेड़ की देखभाल कर ‘ग्रीन दिवाली’ का संकल्प लें।
💖 6. दीपावली पर संवेदनशीलता और समाजसेवा
दीपावली की असली रोशनी तब फैलती है जब हम किसी के जीवन में उजाला भरते हैं।
अपने आस-पास के गरीब, असहाय, सफाईकर्मियों, या जरूरतमंद बच्चों को मिठाई, कपड़े या दीप भेंट करें।
एक दीप उनके द्वार पर जलाकर देखें — आपके मन में जो संतोष और सुकून मिलेगा, वह किसी आतिशबाज़ी से अधिक चमकदार होगा।
🕯️ 7. दीपावली बाद की सफाई और जिम्मेदारी
अक्सर हम त्योहार के अगले दिन सड़कों पर फैले कचरे, जले पटाखों के अवशेष और प्लास्टिक देख उदास हो जाते हैं।
पर याद रखिए — सफाई केवल सरकार या नगरपालिका की जिम्मेदारी नहीं, यह हर नागरिक का कर्तव्य है।
जले हुए पटाखों को खुले में न फेंकें, सुरक्षित तरीके से नष्ट करें।
बिजली की झालरों और सजावट की वस्तुओं को अगले साल के लिए सुरक्षित रखें।
आसपास सफाई अभियान में बच्चों और युवाओं को शामिल करें।
🌼 दीपावली का असली अर्थ है — अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना, अज्ञान से ज्ञान की ओर चलना और असावधानी से जिम्मेदारी की ओर लौटना।
इस बार अपने भीतर के दीप को जलाएँ —
जो सिर्फ घर ही नहीं, बल्कि दिलों को भी रोशन करे।
मनाएँ ऐसी दिवाली जो खुशियों से धूम मचाए, पर किसी को दुख न पहुँचाए।

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