
वाराणसी (राष्ट्र की परम्परा)। कैंटोंमेंट स्थित बिशप हाउस परिसर में अज़ान कि सदाएं बुलंद होते ही काशी के विभिन्न धर्मगुरुओं और रोजेदारों ने एक ही दस्तरखान पर रोजा इफ्तार किया। इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समेत सभी धर्म के लोग मौजूद रहे। सभी ने काशी की गंगा-जमुनी तहजीब की इस रवायत को देखकर रमजान के मुकद्दस महीने में अल्लाह से मिल्लत व सलामती की दुआएं मांगी।इससे पहले बिशप हाउस में सजाए गए दस्तरखान पर वाराणसी धर्मप्रान्त के बिशप ने अपने हाथों से रोजेदारों के लिए थालियां परोसी, अजान होने के बाद रोजेदारों के साथ सभी ने रोजा इफ्तार किया। रोजेदारों ने खजूर, शर्बत, जूस, खजूर, कटलेट आदि से इफ्तारी की। नमाज मौलाना बातिन ने अदा करायी। उन्होंने मुल्क हिन्दुस्तान में अमन, मिल्लत और सौहार्द की दुआएं मांगी। स्वागत करते हुए बिशप यूजीन जोसेफ ने कहा कि मुल्क में शांति और सौहार्द के लिए आवश्यक है कि विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ बैठकर मुल्क में अमन चैन कायम करने के लिए दुआ करें।हमारा मुल्क विविधता को समेटे हुए है और इस खूबसूरती को बनाए रखने के लिए हम सब को कोशिश करनी चाहिए,रोजेदार की दुआ अल्लाह कुबूल करता है। बनारस गंगा जमुनी तहजीब और सभी धर्मों का केंद्र है और यहां सभी के बीच जो मेल जोल है यही इसकी खूबसूरती है।धन्यवाद ज्ञापन करते हुए फादर फिलिप डेनिस ने कहा कि भारत की खूबसूरती इसके त्योहारों में है। हम सब मिलकर होली,दिवाली,रमजान,क्रिसमस,ईद और गुरुपर्व एक साथ मनाते हैं। आयोजन में फादर थामस, फादर यान और मोहम्मद आरिफ़ की भूमिका महत्वपूर्ण रही।रोजा इफ्तार में भाई धर्मवीर सिंह,फरमान हैदर,असद कमाल लारी,डॉ दयानंद, एडवोकेट गुरिंदर सिंह,मुनीजा खान,फादर्स, सिस्टर्स,ब्रदर्स सहित शहर भर के सभी धर्मों के सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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