नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) मणिपुर में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन को छह महीने के लिए और बढ़ा दिया है। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। यह फैसला राज्य में शांति, सुरक्षा और प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।
गौरतलब है कि मणिपुर में पिछले वर्ष से ही जातीय संघर्ष और हिंसा की घटनाओं में तेजी आई थी, जिसके बाद केंद्र ने पहली बार राष्ट्रपति शासन लागू किया था। राज्य में विधानसभा भंग नहीं की गई है, लेकिन सरकार को निलंबित रखते हुए राज्य का संचालन राज्यपाल के माध्यम से किया जा रहा है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत इस विस्तार को मंजूरी दी है। राष्ट्रपति शासन की मौजूदा अवधि 27 जुलाई को समाप्त हो रही थी, जिसे अब 27 जनवरी 2026 तक बढ़ा दिया गया है।
इस फैसले के पीछे राज्य में लगातार बनी हिंसक परिस्थितियां, प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता, और राजनीतिक समाधान के अभाव को प्रमुख कारण माना जा रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में भेजे गए उच्चस्तरीय दल ने भी राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता जताई थी और स्थिति सामान्य न होने की रिपोर्ट दी थी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
राष्ट्रपति शासन के विस्तार पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाते हुए कहा कि यह मणिपुर की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। वहीं, भाजपा ने फैसले को राज्य की शांति बहाली की दिशा में उठाया गया आवश्यक कदम बताया है।
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच गहरे तनाव के चलते हिंसक झड़पें शुरू हुई थीं, जिसमें अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों विस्थापित हो चुके हैं। इस स्थिति में राज्य सरकार की निष्क्रियता पर भी कई बार सवाल उठ चुके हैं।
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