
भागलपुर /देवरिया (राष्ट्र की परम्परा) तहसील क्षेत्र के भागलपुर में विगत दिनों से तटबंध का कार्य शुरू हो गया है। जिसमें खामियों के कारण भागलपुर का वजूद खतरे में पड़ सकता है। जिस अकटा से भागलपुर और आसपास का वजूद बचा हुआ है। जो प्रकृति द्वारा दिया गया वरदान है। उससे ही तोड़कर बोल्डर पत्थर बिछाया गया। भागलपुर में तटबंध का कार्य जोरों से चल रहा है। कार्य प्रगति पर होते हुए भी अपने पूर्णता को आतुर है, यह तटबंध 500 मी तक बनाया जा रहा है। जिसमें काफी खामियां देखने को मिली है। उसमें काफी गैप था और गैपों को उपर से पत्थर की पतली सिलैप से ढक करके कार्य पूरा कर दिया जा रहा है वहीं जिंदा अकटा बोला जाता है। जो प्राकृतिक रूप से अपने पीली मिट्टी से निर्मित होता रहता है। जिसके वजह पर आज भागलपुर और उसके आसपास के गांव टिके हुए हैं। इस अकटो को खोद करके एक मीटर नीचे बॉर्डर बिछाया गया। निर्माण कार्य को देखें तो कोई लाइन लेंथ, हाइट या धारा का प्रभाव किधर पड़ेगा किधर जाएगा वह आपको समझ में नहीं आएगा। अब मिट्टी की कमी पूरा करने के लिए उसे अकटो को तोड़कर मिट्टी की कमी पूरी की जा रही है। इस तरह के उत्खनन से आने वाले दिनों में भागलपुर का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा और काफी भयावह स्थिति देखने को मिलेगी। इंजीनियर ने तो पास कर दिया,लेकिन पानी की मुख्य धारा कहां पड़ रही है कहां से किधर मोड़ना है। लोगो की माने तो यह सही नहीं है। इस सम्बंध में जे ई से बात करने पर उन्होंने बताया कि अकटा नहीं खोदा गया है। वहां से बालू और मिट्टी लिया गया है।

लेकिन प्रत्यक्ष दर्शियों का कहना है कि बालू मिट्टी के साथ-साथ ऊपर के अकटे भी तोड़ दिए गए हैं। यह 10 करोड़ का प्रोजेक्ट है लेकिन 10 करोड़ जैसा कार्य भी दिखना चाहिए, जमुनिया घाट पर पानी की धारा पड़ती है, जिससे कई एकड़ भूमि सरयू नदी में समा गई, लेकिन कार्य वहां से ना होकर 100 मीटर और दक्षिण से हो रहा है। जिससे समस्याएं ज्यों कि त्यों बनी दिख रही है। सड़को पर हर तरफ बॉर्डर बिखरे पड़े हैं। राहगीरों को आने-जाने में दिक्कत हो रही है। धूल मिट्टी इतनी उड़ रही है कि लोगों को दुकान अपनी लगाने में समस्याएं हैं पॉल्यूशन का भरमार है। भागलपुर में इन समस्याओं से आखिर कौन और कब तक निजात दिलाएगा। भागलपुर की सुरक्षा को पुख्ता तौर पर सुनिश्चित करना होगा।
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