प्रस्तुति rkpnewsup.com के लिये द्वारा- विजय सिंह, बलिया (उत्तर प्रदेश)
भारत का स्वर्ग जिसे कहते हैं,
वो जम्मू और कश्मीर है।
हिमालय के गोद से बहता,
झेलम का पावन नीर है।।
बर्फ के चादर में लिपटा,
नदियों के गागर में सिमटा।
मनमोहक वादियों का धुन,
देवदार के वन में खिलता।। वो वसंत ऋतु का मोहक दिन था,
पहलगाम का मनमोहक दिन था।
सब सैलानी घूम रहे थे,
बड़ा सुहाना मौसम भी था।।
पर्यटकों का दोष नहीं था,
फिर भी उनको मार दिया।
उनके पत्नी और बच्चों को,
तुमने बहुत लाचार किया।। आतंकियों का आह्लाद है ये,
मजहब का उन्माद है ये।
भारत के स्वर्ग में रक्त बहाना,
भीषण अत्याचार है ये ।।
सिंधु जल संधि के जरिए,
हमने जिनकी प्यास बुझाई।
जिनके सूखे - बंजर खेतों में,
हमने जल की राह बनाई।। बदले में क्या पाया हमने?
अपना चैन लुटाया हमने।
तुम्हारे आतंकवादी वार से,
खुद का लहू बहाया हमने।।
अब तुमने मक्कारी कर दी,
हमसे ही ग़द्दारी कर दी।
हमने भी अपना वार कर दिया,
बहुत बेकार की यारी कर ली।। अपने नदियों के पानी को,
अब तुमको तरसाएंगे।
सिंधु के जल को अपने,
खेतों में ही बरसाएंगे ।।
राजनयिक दुकानों पर भी,
अब जल्दी से ताले जड़ दो।
भारत के पावन धरती को,
अब जल्दी से खाली कर दो ।। हमने बहुत इरादे कर ली,
डिप्लोमेटिक बातें कर ली।
समझौता एक्सप्रेस चलवा कर,
अपनी कोशिश जियादे कर लीं ।।
राजदूतों के तंबू को हमने,
दिल्ली से उखाड़ दिया।
विजय! राष्ट्र बचाने खातिर,
हमने वीजा फाड़ दिया।। ऑपरेशन सिंदूर चला कर,
सुहागिनों का न्याय कर दिया।
मानवता के दुश्मनों को,
इस संसार के पार कर दिया।।
देखो ब्रह्मोस चलाया हमने,
सुदर्शन चक्र उठाया हमने।
तुम्हारे आतंकवादी अड्डे को,
मिट्टी में आज मिलाया हमने।। वो अंधियारी रात थी,
बस ख़ामोशी की बात थी।
वायुसेना के युद्धक विमान से,
अग्नेयास्त्र की बरसात थी।।
अपने रण कौशल से हमने,
अपनी हुंकार दिखाई थी।
दुश्मनों के घर में घुस कर,
हमने विध्वंस मचाई थी।। हर घर जल योजना में लापरवाही: खोदी सड़क के मरम्मत न होने से लोग परेशान…
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