संकट महादेव सारगर
संकट महादेव सारगर 16 अक्टूबर 2000 को महाराष्ट्र के सांगली जिले में जन्मे । उनके पिता महादेव सारगर चाय–पान की दुकान चलाते थे। उनके परिश्रम और संघर्ष की कहानी प्रेरणास्पद है। संकट ने प्रारंभ में स्थानीय खेल गतिविधियों में हिस्सा लिया और बाद में उन्होंने भारोत्तोलन प्रशिक्षण शुरू किया। उन्होंने कोल्हापुर की शिवाजी यूनिवर्सिटी में इतिहास विषय में अध्ययन किया।
उनका करियर विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तब चमका, जब उन्होंने 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स (बर्मिंघम) में भारत के लिए पहला पदक (रजत) जीता। उन्होंने पुरुष 55 किलोग्राम वर्ग में कुल 248 किलोग्राम भार उठाया — 113 किलोग्राम स्नैच और 135 किलोग्राम क्लीन एंड जर्क।
इसके अलावा, उन्होंने 2021 के कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता एवं राष्ट्रीय रिकॉर्ड 256 किलोग्राम का प्रदर्शन किया।
उनकी सफलता न केवल व्यक्तिगत है, बल्कि भारतीय भारोत्तोलन की एक नई दिशा खोलती है। संकट ने अनेक चुनौतियों का सामना किया — आर्थिक बाधाएं, स्वास्थ्य समस्याएं, प्रशिक्षण की कठिनाइयाँ — पर उन्होंने समर्पण और दृढ़ता से आगे बढ़ते गए। उनके उदाहरण से युवा खिलाड़ी प्रेरणा ले सकते हैं कि मेहनत और आत्मविश्वास से सपने सच हो सकते हैं।
अमित पंघाल
अमित पंघाल का जन्म 16 अक्टूबर 1995 को हुआ। वे भारतीय मुक्केबाज़ी के क्षेत्र में उभरते सितारे हैं। 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता, जो उनके जीवन की एक बड़ी उपलब्धि है। उनका प्रारंभिक प्रशिक्षण स्थानीय मुक्केबाज़ी अकादमियों में हुआ। वे क्षेत्रीय टूर्नामेंटों में हिस्सा लेते हुए राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचे।
उनकी खेल शैली, तकनीकी कौशल और प्रतिस्पर्धा की ललक उन्हें शीर्ष मुक्केबाज़ों की श्रेणी में ले आई। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि अगर समर्पण और कड़ी मेहनत हो, तो सीमित संसाधन होने पर भी सफलता प्राप्त हो सकती है।
निदुमोलु सुमति
निदुमोलु सुमति 16 अक्टूबर 1950 को जन्मी। वे मृदंग वादन की कवायद में प्रख्यात नाम हैं। उनका जन्म स्थान दक्षिण भारत हो सकता है (आंध्र प्रदेश या तेलंगाना क्षेत्र), जिसे सार्वजनिक स्रोतों में विशेष रूप से पुष्टि नहीं मिली है। संगीत की ओर उनका झुकाव बचपन से रहा। उन्होंने पारंपरिक संगीत शिक्षकों से ताल, लय, परंपरा और वादन प्रशिक्षण लिया।
उनका योगदान विशेष रूप से शास्त्रीय वादन प्रस्तुतियों और संगीत समारोहों में रहा। उन्होंने अनेक कलाकारों के साथ सहयोग किया तथा संगीत शिक्षा को आगे बढ़ाया। उन्होंने वादन की तकनीक, ताल संरचना और नवाचारों के साथ प्रयोग किया और ने संगीत प्रेमियों को अत्यंत आकर्षित किया।
सेठ गोविंद दास
सेठ गोविंद दास का जन्म 16 अक्टूबर 1896 को हुआ। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सांसद और हिन्दी साहित्यकार थे। उनका शिक्षा पटल संभवतः संस्कृत, हिंदी, सामाजिक और राजनीतिक विषयों में रहा। वे सामाजिक, राजनीतिक और साहित्यिक क्षेत्रों में सक्रिय रहे।
वे समय-समय पर सामाजिक सुधार आंदोलनों में हिस्सा लेते और जनता के बीच शिक्षा, सामाजिक न्याय और साहित्य प्रचार में लगे रहे। उनका साहित्यिक योगदान हिंदी भाषा एवं साहित्य प्रेमियों के लिए आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
नरेंद्र चंचल
नरेंद्र चंचल 16 अक्टूबर 1940 को अमृतसर, पंजाब में जन्मे थे। उनका परिवार धार्मिक पृष्ठभूमि में था, और वे बचपन से हिंदू भक्ति संगीत के वातावरण में रहे। उन्होंने स्थानीय विद्यालयों से शिक्षा ली और संगीत-शिक्षा ली। बाद में उन्होंने भजन और कीर्तन गायन में विशेष पहचान पाई।
उनका करियर मुख्य रूप से भक्ति गीतों और धार्मिक संगीत में केंद्रित रहा। उन्होंने अनेक प्रसिद्ध भजन गाए हैं जैसे “चलो बुलावा आया है,” “संकट मोचन,” “राम से बड़ा राम का नाम,” आदि।
उन्होंने हिंदी फिल्म गीतों में भी योगदान दिया — जैसे 1973 की फिल्म Bobby का गीत “बेशक मंदिर मस्जिद।”
नरेंद्र चंचल का योगदान भारतीय भक्ति संगीत को जनमानस तक पहुँचाने में अमूल्य रहा। उनका निधन 22 जनवरी 2021 को हुआ।
लच्छू महाराज
लच्छू महाराज 16 अक्टूबर 1944 को जन्मे थे। वे तबला वादन में नामी कलाकारों में शुमार हैं। उनके जन्मस्थान व शिक्षा के विवरण सार्वजनिक स्रोतों में सीमित हैं। उन्होंने संगीत गुरुकुलों, गुरु-शिष्य परंपराओं से ताल व लय की गहरी समझ प्राप्त की।
वे भारतीय शास्त्रीय संगीत प्रस्तुतियों में वादन सहयोगी तथा एकल वादन कलाकार रहे। उनकी लयबद्धता, ताल नियंत्रण एवं संवादात्मक वादन उन्हें विशिष्ट बनाते थे। संगीत महफिलों में उनकी उपस्थिति, संयोजन व ताल की शुद्धता उन्हें संगीत प्रेमियों में प्रिय बनाती थी।
हेमा मालिनी
हेमा मालिनी का जन्म 16 अक्टूबर 1948 को Ammankudi, मद्रास प्रांत (अब तमिलनाडु) में हुआ। उन्होंने चेन्नई में आंध्र महिला सभा विद्यालय में शिक्षा ली। उन्हें ड TEA Mandir Marg में कक्षा 11 तक पढ़ाई मिली।
उन्होंने भरतनाट्यम्, मोहिनीअट्टम, कुचिपुड़ी आदि नृत्य शैलियों में प्रशिक्षण लिया। वे नृत्य के साथ-साथ अभिनय क्षेत्र में प्रवेश कर गईं और हिन्दी फिल्मों में उन्हें “ड्रीम गर्ल” की उपाधि मिली।
वे सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहीं। उन्होंने राजनीति में कदम रखा और भारतीय जनता पार्टी से संसद में प्रतिनिधित्व किया। उन्हें पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
हेमा मालिनी ने भारतीय सिनेमा एवं संस्कृति को समृद्ध किया — नृत्य, अभिनय और सामाजिक प्रभाव के माध्यम से।
नवीन पटनायक
नवीन पटनायक का जन्म 16 अक्टूबर 1948 को हुआ। वे ओड़िशा के 14वें मुख्यमंत्री रहे व है। उन्होंने राज्य सरकारों, शिक्षा, अवसंरचना, सामाजिक कल्याण योजनाओं, ग्रामीण विकास, शिक्षा सुधार आदि क्षेत्रों में योगदान दिया।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा और राजनीतिक पृष्ठभूमि ओड़िशा राज्य से संबंधित रही। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने विधानसभा विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं भ्रष्टाचार नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित किया। उनकी कार्यवाहियाँ राज्य और देश स्तर पर महत्वपूर्ण थीं।
दिगम्बर हांसदा
दिगम्बर हांसदा का जन्म 16 अक्टूबर 1939 को हुआ। वे संथाली भाषा और साहित्य के विद्वान थे। उन्होंने संथाली साहित्य की भाषा, लिपि, लोककथा और सांस्कृतिक अध्ययन में योगदान दिया। उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया।
वे शिक्षा संस्थानों और भाषा संगठनों से जुड़े रहे। उन्होंने संथाली साहित्य के पाठ्यक्रम, अध्ययन सामग्री और शोध कार्यों को आगे बढ़ाया। उनका योगदान भाषा संरक्षण और सांस्कृतिक पहचान के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विनय मोहन शर्मा (पं. शुकदेव प्रसाद तिवारी)
विनय मोहन शर्मा, जिन्हें पं. शुकदेव प्रसाद तिवारी भी कहा जाता है, का जन्म 16 अक्टूबर 1905 को हुआ। वे हिंदी भाषा के लेखक और आलोचक थे। उन्होंने साहित्य, संस्कृति, आलोचना और विचारधारा पर लेख लिखे।
उनकी शिक्षा संभवतः पारंपरिक और साहित्य अध्ययन केंद्रों से हुई होगी। उन्होंने समय-समय पर संवाद, समीक्षा और समीक्षा लेखन करते हुए हिंदी साहित्य की दिशाओं पर विचार किया।
वेद कृष्णमूर्ति
वेद कृष्णमूर्ति का जन्म 16 अक्टूबर 1995 में हुआ। वे भारतीय महिला क्रिकेटर हैं। उन्होंने घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिताओं में भाग लिया और राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर टीमों का प्रतिनिधित्व किया। उनकी शुरुआती शिक्षा एवं प्रशिक्षण स्टेडियमों या क्रिकेट एकेडमी में हुआ होगा।
उनका योगदान खेल क्षेत्र में महिला क्रिकेट को सशक्त करने और उदाहरण प्रस्तुत करने की दिशा में है।
16 अक्टूबर को जन्म लेने वाले ये व्यक्तित्व विभिन्न क्षेत्रों — खेल, संगीत, साहित्य, राजनीति, भाषा — में अपनी विशिष्ट छाप छोड़ चुके हैं। इनकी कहानियाँ संघर्ष, समर्पण और उत्कृष्टता का संदेश देती हैं। जब एक तरफ संकट सारगर ने एक मध्यम परिवार से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम रोशन किया, वहीं हेमा मालिनी ने कला, संस्कृति और राजनीति में एक बहुआयामी व्यक्तित्व का उदाहरण प्रस्तुत किया। इसी तरह नरेंद्र चंचल, लच्छू महाराज और निदुमोलु सुमति ने संगीत की आत्मा को जन-जन तक पहुँचाया। सेठ गोविंद दास, दिगम्बर हांसदा और विनय मोहन शर्मा ने सामाजिक, भाषायी और साहित्यिक धरातल को मजबूत किया। नवीन पटनायक ने राज्य-शासन के क्षेत्र में नेतृत्व किया। और युवा प्रतिभा वेद कृष्णमूर्ति क्रिकेट की दुनिया में बढ़ रही है।
इनकी जीवनी हमें यह सिखाती है कि चाहे जन्म स्थान, संसाधन या प्रारंभिक परिस्थिति — कुछ भी हो — अगर दृढ़ निश्चय, लगन और समय की मूल्य समझ हो, तो असाधारण उपलब्धियाँ प्राप्त हो सकती हैं। यह लेख पाठकों को प्रेरणा देने के लिए तैयार किया गया है, ताकि हर व्यक्ति अपनी राह खुद तय कर सके और अपनी कहानी लिख सके।
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