कुछ न कुछ कमी सब में होती है
सर्व गुण सम्पन्न नहीं कोई होता है,
थोड़ी सी कमी भुला करके अपनी
मित्रता बनाए रखना अच्छा होता है।
अपनों और परायों के मैत्री रिश्ते
बनाने में अक्सर वर्षों लग जाते हैं,
रिश्ते ना रखना चाहे कोई जमाने से
आसानी से दो पल में ख़त्म हो जाते हैं।
सच्चे पथ पर चलकर तो हर कोई
वक्त को साथ सदा रख सकता है,
पर वक्त के साथ चलकर सत्य का
मार्ग कभी कभी विषम हो सकता है।
सच्ची राहें हमेशा सरल सहज पथ
निर्मित कर गंतव्य सुगम कर देती हैं,
जूठ बुराई की पथरीली राहें सुंदर
रिश्तों को दुर्गम अगम बना देती हैं।
अंधेरों की साजिशें, भी रोज होतीं हैं
पर उजाले की जीत, ही रोज़ होती है,
सत्य बोलना तो कटु अवश्य होता है,
पर सौ बार जूठ बोलने से बचाता है।
जाति, धर्म, भाषा के कारण मानवता
को इस युग में बिखरते देखा जाता है
व्यथित हृदय से विनती है ‘आदित्य’
समर्पण भाव इँसाँ को इंसान बनाता है।
- कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ
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